ई-मैगज़ीन
ऑडियो स्टोरी
लॉग इन
Subscribe
कहानी
राजनीति
समाज
संपादकीय
लाइफ स्टाइल
बौलीवुड
हेल्थ टिप्स
क्राइम
आपकी समस्याएं
फार्मिंग
Subscribe
लॉग इन
कहानी
बौलीवुड
क्राइम
समाज
आपकी समस्याएं
हेल्थ टिप्स
लाइफ स्टाइल
ऑडियो स्टोरी
राजनीति
फार्मिंग
ई-मैगज़ीन
संपादकीय
अंतर्व्यथा
उस दिन मुझे अपने बेटे को देखकर कापी ज्यादा खुशी हो रही थी मैं घर बैठे टीवी पर देख रहे थें.
भाग - 1
एक मां की व्यथा को न अजय समझ पाया और न ही रंजनजी. उसे अपने दर्द का साझीदार कोई न मिला. मन में बहती ममता की शीतल धारा उसे जिंदगीभर शांत करती रही. पर यह कैसी विडंबना थी कि ममता के उसी सागर के तूफान में सब बह गया.
भाग - 2
एक पल में न जानें मेरी सुंदर सी दुनिया उजड़ गई, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें.
भाग - 3
एक मासूम को तिलतिल कर जलते देखती रहीं. आप ने एक पाप किया मुझे जन्म दे कर, दूसरा पाप किया मुझे पालपोस कर जिंदा रखने का. यह जिंदगी ही मेरे लिए नरक बन गई.
×
सबस्क्राइब करें
डिजिटल
+ प्रिंट
एडिशन
अपना फ़ोन नम्बर/ईमेल आईडी या दोनों भरें.
Already Registered?
LOGIN HERE.
×
लॉग इन करें
डिजिटल एडिशन
Resend OTP
Don't have an account?
GET REGISTER.
'सरिता' पर आप पढ़ सकते हैं 10 आर्टिकल बिलकुल फ्री ,
अनलिमिटेड पढ़ने के लिए
Subscribe Now
होम
रोमांस
फैमिली ड्रामा
क्राइम
ऑडियो स्टोरी