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प्रोफैसर दीदी से उन की जानपहचान थी. आपस में अभिवादन के बाद पूरा हालचाल जानने के बाद सभी महिलाएं अस्पताल के बरामदे में लगी कुरसियों पर बैठ गईं. वे गिरीडीह के पौश इलाके के पढ़ेलिखे सभ्य लोगों के आवास के बगल में बसी इस बस्ती में इस तरह के जघन्य अपराध पर चिंता प्रकट करने लगीं. प्रोफैसर दीदी ने कहा, ‘‘दमयंतीजी, दोषियों को सजा दिलवाना हम महिलाओं का फर्ज बनता है. एक सीधीसादी, घरों में चौकाबरतन करने वाली विधवा और बेसहारा महिला को प्रताडि़त कर अधमरा कर देना घोर अपराध है.’’ ‘‘हांहां, जिस राजनीतिक दबंग, स्वयंभू नेता रूपचंद ने यह सब करवाया है उस ने बदले की भावना के तहत किया है. मैं ने पता कर लिया है, कई दिनों से कामिनी को बारगर्ल बनाने के लिए मुंबई भेजने के लिए वह मालती पर जोर डाल रहा था. उस के न कहने के बाद उस ने यह ओछी हरकत की है.’’

‘‘ओ, अच्छा,’’ प्रोफैसर दीदी अवाक् रह गईं.

‘‘मुझे यह भी पता चला है कि वह बारगर्ल बनाने का लालच दे कर और उन के मांबाप को रुपएपैसे दे कर न जाने कितनी लड़कियों को बहलाफुसला कर ले जाता है मुंबई और वहीं पर सैक्स रैकेट चलाता है. इस में तो वह अकेला है नहीं. बड़ेबड़े दिग्गज भी शामिल होंगे. तभी यह सब संभव भी हो पाता है.’’

‘‘मैं भी अपने कालेज की अन्य प्रोफैसरों को इस में शामिल करूंगी. हम सभी मिल कर विरोध में रैली निकालेंगे और दोषियों को सजा दिलवाने में मदद करेंगे,’’ प्रोफैसर दीदी पूरे जोश के साथ बोलीं.

‘‘हां दीदी, किसी हाल में दोषियों को सजा दिलवाना जरूरी है, नहीं तो रूपचंद जैसे लोगों का मनोबल बढ़ता चला जाएगा. बहुत सूझबूझ और सावधानी से दोषी तक पहुंचना है. मुझे पता चला है कि इस में पुलिस को भनक है लेकिन सफेदपोशों की संलिप्तता के कारण अभी तक वह उन पर हाथ नहीं डाल पाई है,’’ दमयंतीजी ने बहुत धीरेधीरे ये सब बातें बताईं. उन्होंने आगे कहा, ‘‘सब से बड़ी बात यह है कि बस्ती के लोग तथा आसपास के लोग रूपचंद से काफी सहायता लेते रहते हैं. यहां की समस्याओं में लोगों का वह साथ देता है. इसी से उस के साथ कई चमचे लगे रहते हैं. लेकिन किसी भी तरह दोषी को सजा दिलवाना बहुत जरूरी है. है तो यह थोड़ा जटिल काम,’’ उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा. सावित्री यानी प्रोफैसर दीदी बोलीं, ‘‘हां दमयंतीजी, कठिन जरूर है परंतु जहां चाह, वहां राह मिल ही जाएगी. हम लोगों की नाक के नीचे ऐसी घटनाएं घटती रहें और हम शांति से बैठे रहें, यह नहीं हो सकता, हमें डटे रहना होगा.’’ अन्य दोनों महिलाओं ने भी हामी भरी. फिर सभी अंदर आ गईं. वार्ड में डाक्टर आए हुए थे. सावित्री दीदी ने पूछा, ‘‘डाक्टर साहब, अब मालती की तबीयत कैसी है? कब तक ठीक हो जाएगी यह?’’

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