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‘‘साली मांबेटी दोनों ही छंटी हुई हैं,’’ रूपचंद का साथी बोला और कम्मो के बालों को पकड़ कर जोर का धक्का दिया. वह गिर पड़ी. वह उठ कर मां को फिर बचाने के लिए झपटी. तभी उस के गालों पर बदमाश ने ऐसा जोरदार थप्पड़ मारा कि उस की आंखों के आगे अंधेरा छा गया और वह मूर्छित सी हो कर गिर गई. बदमाशों ने मालती को दमभर मारापीटा. तभी एक आदमी डब्बे भर कर मैला ले कर आ गया और जबरन मालती के मुंह में डाल दिया. वह उस के बालों को जोरजोर से खींचते हुए बोला, ‘‘साली, मेरे बच्चे को किसी तरह जिंदा करो, नहीं तो मार ही डालूंगा.’’

‘‘मैं ने कुछ नहीं किया, मैं ने कुछ नहीं किया,’’ कहतेकहते मालती बेहोश हो गई. मारपीट कर बदमाश वहां से चले गए. इस दौरान बस्ती का कोई भी उसे बचाने नहीं आया. कुछ ही देर में रूपचंद एक ओझा को ले कर वहां पहुंचा और बोला, ‘‘बाप रे, यह मालती डायन है, मुझे नहीं मालूम था. ओझाजी इस से पूछिए कि रामलाल के बेटे को तो उस ने खा लिया, अब वह किसे खाना चाहती है?’’ ओझा एक छड़ी से बेहोश मालती को खोदते हुए बोला, ‘‘बोल री डायन, यह सब तू ने क्यों किया?’’ मालती नहीं उठी तो उस ने उसे झाड़ू से मारा. वह फिर भी नहीं उठी तो उस ने आग जला कर उस में मिर्चें डाल कर धुआं किया और एक झाड़ू फिर लगाते हुए बोला, ‘‘अरी जल्दी उठ, और अपना दोष कुबूल. बोल, उठती है या नहीं?’’ पूरी बस्ती में यह खबर आग की तरह फैल गई थी. कई लोग उस के घर दौड़े आए. ओझा के दोबारा झाड़ू उठे हाथ लोगों को देख कर रुक गए. कई लोग मालती के करीब आ कर उसे देखने लगे. तो ओझा एक झाड़ू उसे और लगाते हुए बोला, ‘‘जल्दी उठ, और अपना दोष कुबूल. बोल तू उठती है या नहीं?’’ कुछ लोग मालती के काफी करीब आ गए, उसे देखते हुए बोले, ‘‘यह तो बेहोश है. छोड़ दीजिए ओझाजी,’’ तभी कम्मो को होश आ गया. वह झटपट उठी और मां की ओर दौड़ी. मां की दशा देख कर फूटफूट कर रोने लगी.

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