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चंद्रमणि
मेरी बातों का जवाब दिए बिना वह सविता के तरफ देखकर नमस्ते भाभी कहकर निकल गया.
भाग - 1
एक वक्त था जब चंद्रमणि के रूपलावण्य को कोई एक बार निहार लेता था तो भुला नहीं पाता था. आज वही चंद्रमणि मुरझाया गुलाब बन कर रह गई थी.
भाग - 2
मैं मां बनने वाली थी, इस बात से राजेश बहुत खुश थे, कहते कि हमारे बेटी होनी चाहिए जिस का नाम तुम मणि रखना क्योंकि वह तुम जैसी सुंदर व सुशील बनेगी.
भाग - 3
चंद्रमणि धीरे से जय के बेटे राहुल व अपनी बेटी रोहिणी पर निगाह डालते हुए बोली, ‘‘भाभी, शायद आप ठीक ही सोचती हैं.’’ सविता ने जय को भी मना लिया.
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