Vatican City : पोप फ्रांसिस की मृत्यु के बाद अमेरिकी रौबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को वेटिकन सिटी के सिस्टिन चैपल में बैठे 135 कौर्डिनल्स ने चुना है. उन्हें अब पोप लियो XIV के नाम से जाना जाएगा. वे कैथोलिक चर्च के 267वें पोप हैं, जो 8 मई, 2025 को चुने गए. वे पहले अमेरिकी हैं जो पोप बने. रोमन कैथोलिकों को अपनेअपने देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, तानाशाहों से ज्यादा विश्वास पोप पर होता है क्योंकि चर्च का गठन ऐसा है कि पोप हर देश के हर गांव के आखिरी प्रीस्ट तक पर नियंत्रण रखता है. रोमन कैथोलिकों ने एक बेहद जकड़ा हुआ, बिना खिचखिच वाला प्रबंध करने वाला तंत्र सदियों से बना रखा है. वेटिकन का पोप उन का सर्वोच्च प्रीस्ट होता है.
रोमन कैथोलिकों ने बड़ी चतुराई व सफलता से ईसाई धर्म के दूसरे संप्रदायों को कहीं पीछे छोड़ दिया है और अब अमेरिका में जहां प्रोटैस्टैंट ज्यादा हुए करते थे, नेतृत्व की बागडोर लगभग रोमन कैथोलिकों के हाथ में है क्योंकि उन की अपने अनुयायियों पर पकड़ ज्यादा है और वे तमाशा करने में प्रोटैस्टैंटों व दूसरे संप्रदायों से ज्यादा माहिर हैं. धर्म एक सर्कस की तरह चलता है और जब हर कुछ दिनों बाद कोईर् त्योहार, उत्सव, सभा, प्रवचन हों तो दुकानदारी ज्यादा चलती है.
ईसाइयों के दूसरे कुछ संप्रदाय जियो और जीने दो के सिद्धांत में विश्वास रखते हैं और इसलिए उन के अनुयायी अपने जीवन में ज्यादा सफल हैं. रोमन कैथोलिक देश आमतौर पर गरीब हैं वहां सत्ता में बैठा ज्यादा तानाशाह है, वहां लोकतंत्र अगर है तो कमजोर है. पूरा दक्षिणी अमेरिका लगभग रोमन कैथोलिक है और यहीं के लोग भागभाग कर चोरीछिपे अमेरिका में अवैध घुसपैठ करते रहे हैं जो अब तक उदार प्रोटैस्टैंट देश रहा है.
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