देवयानी खोबरागड़े के मामले में भारत सरकार का अमेरिकी सरकार से कठोरता से पेश आना थोड़ा आश्चर्य करने वाला है पर शायद इस के पीछे पूरी विदेश सेवा की नौकरशाही के अस्तित्व का सवाल जुड़ा है. यह मामला राजनयिक की गिरफ्तारी से ज्यादा अपने देशवासियों के साथ अमेरिका के मनमरजी व्यवहार करने से भी जुड़ा है.

देवयानी को उस की नौकरानी संगीता रिचर्ड की शिकायत पर अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. संगीता रिचर्ड देवयानी से अमेरिकी कानूनों के अनुसार वेतन और सुविधाएं मांग रही थी और शायद कुछ ज्यादा ही उग्र हो रही थी. तभी देवयानी ने पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय से उस के खिलाफ एक आदेश ले लिया था.

अमेरिकी दूसरे देशों, खासतौर पर एशियाई और गरीब देशों के नागरिकों के साथ अकसर दुर्व्यवहार करते रहते हैं. कहा जाता है कि एक अमेरिकी द्वारा भूतपूर्व रक्षा मंत्री कृष्णा मेनन के साथ दुर्व्यवहार करने पर ही भारत ने जवाहरलाल नेहरू के जमाने में रूस से संबंध जोड़े थे और भारत की नजरों में अमेरिका लोकतंत्र और मानवीय अधिकारों की रक्षा करने वाला देश होने के बावजूद शत्रु से कम नहीं रहा.

अमेरिकी पुलिस किसी भी शिकायत पर गंभीर कार्यवाही उसी तरह करती है जिस तरह भारतीय पुलिस करती है. पर हमारी पुलिस व्यक्ति के ओहदे, स्तर, जाति, धर्म का लिहाज अवश्य करती है. अमेरिकी पुलिस वाले बेहद दंभी और नियमों को मानने वाले होते हैं और अगर किसी पर शक हो तो उस से दुर्व्यवहार करने तक में नहीं चूकते. भारतीय राजनयिक सेवा से जुड़ी होने के कारण देवयानी को यह एहसास था और तभी उन्होंने भारत में अपनी नौकरानी के खिलाफ चोरी का आरोप लगा कर अपने को सुरक्षित करना चाहा था. अमेरिका में अगर वह यह आरोप लगाती और झूठा पाया जाता तो लेने के देने पड़ जाते.

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