सोशल मीडिया एक आफत बन गया है. हाल में मुरादाबाद में दंगे होतेहोते बचे, क्योंकि लोग व्हाट्सऐप पर एक वीडियो शेयर कर रहे थे जिस में 2 युवकों को ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए पीटा जा रहा था. पहले तो पता ही नहीं चला कि वीडियो कहां का है पर जब पता चला तो इतने हाथों में गुजर चुका था कि घृणा का वायरस फैल चुका था. ऐसा ही एक मैसेज चल रहा है जो दर्शाता है कि 2050 तक आज की आबादी के 14.5% मुसलिम 50% हो जाएंगे. इस का कोई डैमोग्राफिक सुबूत नहीं है. आंकड़े यही बताते हैं कि मुसलमानों में भी आबादी की वृद्धि तेजी से घट रही है और मुल्लाओं की ज्यादा बच्चों की सलाह औरतें मानने को तैयार नहीं हैं. व्हाट्सऐप पर बेवकूफ बनाने वाले मैसेज भी धूम मचाए हैं. मैसेज आया, ‘यह लड़की जयपुर जंक्शन पर मिली है, इसे मातापिता से मिलवाने के लिए फोटो शेयर करो.’ लो जी अपने सभी ग्रुपों में भेज दिया बिना जानेपहचाने कि यह कहां, कब की बात है. पहले अब्दुल कलाम 2 बार गंभीर पड़े का समाचार घूमता रहा. हाल में एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु हो गई. एक मैसेज घूम रहा है कि आस्ट्रेलिया ने मुसलिमों पर तरहतरह की पाबंदियां लगाईं जबकि ऐसा कुछ न हुआ.
व्हाट्सऐप और फेसबुक असल में अब घटिया संदेशों से इतने भर गए हैं कि यह सस्ती संवाद भेजने की तकनीक दिल्ली के चांदनी चौक की सड़क की तरह हो गई है जहां जो चाहे अपनी दुकान लगा ले और पैदल चलने वालों के लिए जगह न बचे. इन सोशल मीडिया प्लेटफौर्मों पर अब काम की बातें न के बराबर होती हैं. हां, कुछ प्रेरणादायक मैसेज भी चलते हैं पर उन पर ध्यान कौन देता है? अगर ध्यान दिया जाता तो दुनिया एक गांव बन चुकी होती, जहां एक आफत पर सैकड़ों सहायता के लिए खडे़ हो जाते. यहां तो यह विध्वंसक बन रहा है या जानेअनजानों को वह जानकारी देने के लिए जो भ्रामक और बहकावे वाली है. चौंकाने वाली बात यह है कि लोग भी झट से इन मैसेजेज पर विश्वास कर लेते हैं.