21 जून को उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में 3 युवकों द्वारा एक लड़की के घर में जबरन घुस जाना और दूसरी मंजिल से उसे फेंक देना क्योंकि वह उन की छींटाकशी का विरोध करती थी कोई अनूठी बात नहीं हैं. यह सारे देश में होता रहता है. लड़कियों को अगर मांबाप अकेले नहीं निकलने देते तो उस का कारण यही है कि इस देश में हर कोने में कोई वहशी छिपा है जो इतना कामुक है कि आगापीछा देखे बिना कभी भी कुछ भी कर देता है.

आमतौर पर तो दोषी पकड़ा ही नहीं जाता क्योंकि बलात्कार हो जाने पर भी लड़की चुप ही रहती है. उसे मालूम है कि हल्ला मचाने का अर्थ है कि अपना व अपना भविष्य खराब कर लेना. बलात्कारी अंग भंग भी कर सकता है और बुरी तरह बदनाम भी कर सकता है.

यह कोई नई बात नहीं है. रामायण तक में ऐसा प्रंसग है. जब विश्वमित्र रामलक्ष्मण को अपने साथ आश्रम में ले जा रहे होते हैं तो रास्ते में पड़ रहे एक नगर की कथा सुनाई. उस नगर के राजा कुश नाम की कन्याएं अत्यंत रूपवती थीं. उन कन्याओं को एक उद्यान में देख कर वायु देवता ने उन्हें कहा कि वे सभी उस की पत्नियां बन जाएं तो वे अश्रय यौवन.....और अमर बन जाएंगी. (बालकांड, कुशनाम कन्योपाख्यान) इन युवतियों ने इंकार कर दिया कि उन के विवाह का फैसला तो उन के पिता करेंगे. इस पर गुस्सा हो कर वायु ने उन के शरीर में प्रवेश कर उन्हें लुंज कर दिया और वे कुरूप और कुबड़ी हो गई. ठीक वैसे जैसे तेजाब फेंक कर 2 मंजिल से फेंक कर आज भी किया जाता है.

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