विरोधियों को तंत्र करने की जो परंपरा भारतीय जनता पार्टी ने डाली है और पुलिस, नैशनल इनवैस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) एनफोर्समैंट डिपार्टमैंट (ईडी) का इस्तेमाल करना शुरू किया है, उसे अब वे राज्य सरकारें भाजपा के खिलाफ करने लगी हैं जो भाजपा की नहीं हैं. केरल में 2021 के विधानसभा चुनावों से पहले जनाधिपथ्य राष्ट्रीय संघ (जेआरएस) को भाजपा के साथ बने रहने के लिए दी गई रिश्तों का खुलासा केरल पुलिस के सामने बयानों से खुल रहा है.

जेआरएस के कोषाध्यक्ष प्रसीथा अझीकोड ने क्राइम ब्रांच के खिलाफ बयान देते हुए कहा कि जेआरएस के अध्यक्ष सीकेजानू के 25 लाख रुपए दिए गए थे. प्रसीथा ने एक आडियो क्लिप भी जारी किया है जो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्र और जेआरएस अध्यक्ष सीके जानू के बीच लेनदेन के बारे में है.

केरल में चूंकि पुलिस राज्य सरकार की है और केरल में माक्र्सवादी पार्टी जम कर बैठी हुई है और दलबदल होने की गुंजाइश न के बराबर है, वहां केंद्र के गृहमंत्री की नहीं चल रही है और मामले एक के बाद एक खुल रहे हैं और पता चल रहा है कि पार्टी विद स डिसैंस का कोई अतापता नहीं रह गया. भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए वही सब कुछ कर रही है जो इस से पहले दूसरी पाॢटयां करती थीं.

राजनीति में बने रहने के लिए पैसा दुनिया भर में चाहिए होता है और दुनिया भर के नेता जहां से संभव होता है पैसा लेते हैं. हर नेता को न केवल लंबाचौड़ा स्टाफ रखना होता है, जनता से मिलते रहने में काफी खर्च करना पड़ता है. कठिनाई यह है कि 2014 से पहले भ्रष्टाचार को भाजपा समर्थक कंट्रोलर जनरल औफ इंडिया विनोद राय के साथ साजिश कर के खूब उछाला गया था. विनोद राय ने एक के बाद एक रिपोर्टें जारी की थीं जिन में तरहतरह के स्कैमों के आरोप लगाए थे.

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