वर्ष 2014 के चुनावों का परिणाम क्या होगा, यह सवाल अगर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए महत्त्व का है तो जनता के लिए परेशान करने वाला है कि अगर इन दोनों बड़ी पार्टियों को 100-125 सीटें ही मिलीं तो क्या होगा. 1998 और 2009 में दोनों बड़ी पार्टियों ने छोटी पार्टियों को जोड़ कर काम चला लिया पर 1975, 89, 96 में छोटी पार्टियों को मिला कर सरकार बनाने का जो प्रयोग हुआ वह बेहद निराशाजनक रहा. विश्वनाथ प्रताप सिंह, चौधरी चरण सिंह, एच डी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल जैसों की सरकारें पहले ही दिन से लकवाग्रस्त रहीं.
अब 2014 के बारे में संशय इसलिए है क्योंकि कांग्रेस रिश्वतखोरी के काले कोलतार में गरदन तक डूबी है और उस पर देश की शिक्षित जनता को भरोसा नहीं है. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अहंकारी, कट्टर, हिंदुत्व के मर्चेंट नरेंद्र मोदी को महाराजाधिराज बनाने का संकल्प ले चुकी है. जनता के लिए एक तरफ आग है तो दूसरी तरफ गंगा की बाढ़, गिरते मकान, होटल, मंदिर और रिजोर्ट हैं. इन के अलावा राज्यों में मजबूत नेता हैं पर मनमरजी के मालिक, बेपेंदे के लोटे, जिन्हें न विदेश नीति से मतलब है न देश की आर्थिक प्रगति से और जिन की निगाहें अपने राज्य की राजधानी से बाहर जाती ही नहीं हैं.
क्या चुनाव सुधार कर के कुछ किया जा सकता है कि देश में 2 या 3 जिम्मेदार पार्टियां ही रहें जिन पर जनता समय की जरूरत के अनुसार विश्वास व्यक्त करने का मौका पा सके? अमेरिका से जलन होती है जहां केंद्र और राज्यों, सभी जगह केवल 2 पार्टियां हैं और जनता जब एक से ऊब जाती है तो दूसरी को चुन लेती है. एक पार्टी गलतियां करती है तो दूसरी को मौका देने में कठिनाई नहीं होती.
कई देशों ने कई प्रयोग किए हैं. जरमनी में संसद की आधी सीटों पर चुनाव भारतीय चुनावी तरीके से होता है पर बाकी आधी सीटें, इन चुनावों में पार्टियों को मिले वोटों के अनुसार उन्हें मिलती हैं. पर इस से भी वहां एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलता क्योंकि प्रमुख पार्टी, एंजेला मार्केल की क्रिश्चियन डैमोक्रेटिक यूनियन को 598 स्थानों में से दोनों तरीकों से भी 237 सीटें ही मिलीं और उन्हें गठबंधन सरकार बनानी पड़ी. जब तक देश की जनता धर्म, जाति, भाषा और राज्य के संकुचित विचारों से अपने को नहीं उबारती, शायद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलेगा. यह पक्का लगता है कि जनता 2014 में न तो रिश्वतखोरों पर पक्की मोहर लगाएगी न धार्मिक कट्टरता पर.