1970 के जमाने में अगर युवाओं के कोई आदर्श थे तो ‘द बीटल्स’ के सिंगर्स थे, जिन चारों ने सारी दुनिया में धूम मचा दी थी और अपने संगीत से करोड़ों का दिल जीत लिया था. हर तरह की सैलिब्रिटीज को पीछे छोड़ते हुए द बीटल्स बैंड पूरी तरह म्यूजिक इंडस्ट्री पर छाया हुआ था. हालांकि, इस इन सिंगरों में बाद में इन में मतभेद हो गया और बैंड टूट गया लेकिन हरेक सिंगर सैलिब्रिटी बना रहा.

इन में से एक जौन लैनोन की 1980 में मैनहट्टन, न्यूयौर्क के अपने घर से निकलते हुए एक प्रशंसक से ईर्ष्यालु बने मार्क डेविड चैपमैन ने बिना किसी कारण गोलियां मार कर उन की हत्या कर दी.
यह हिंसा पागलपन थी पर इस की जिम्मेदारी किस पर है. 67 साल का हो चुका मार्क आज भी जेल में बंद है और खुद को छोड़े जाने की बारबार दुहाई कर रहा है पर पुलिस को लगता है कि उसे जेल में रखना ही ठीक है. इस हत्या की जिम्मेदारी उस के पागलपन की नहीं, बल्कि हत्या को मानव स्वभाव का हिस्सा मनवाने में धर्मसत्ता और राजसत्ता की है.

निरर्थक हत्याएं केवल धर्म और राजा के लिए की गई हैं. धर्म चाहे छोटे हों, राजा भी छोटे हों, अगर ये हत्याओं को बढ़ावा देते हैं तो इसलिए कि इस के बहाने ये अपने लोगों पर राज कर सकते हैं. एक दानदक्षिणा पाता है तो दूसरा टैक्स का पैसा और गुलाम. दोनों को यौनसुख के लिए मुफ्त, अपने लोगों की ज्यादा, हिंसा के शिकारों की कम, औरतें भी मिलती हैं. हर धर्मस्थल और हर राजा के महल में औरतों का जमावड़ा रहता है जो अपने गुरुओं या राजा के साथ सोने को मजबूर रहती हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...