सिनेमा जगत में प्रदान किए जाने वाले औस्कर पुरस्कार एक तरह के नोबेल पुरस्कार होते हैं. और इस साल 2 पुरस्कार भारत की फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटूनाटू...’ और भारत की डौक्यूमैंट्री फिल्म ‘द एलिफैंट व्हिस्पर्स’ को मिलने से देश को बेहद खुशी हुई है. पहले ‘गांधी’ और ‘स्लमडौग मिलेनियर्स’ जैसी फिल्मों को औस्कर मिले पर वे विदेशियों द्वारा भारत में बनाई गई थीं. लेकिन ये दोनों पुरस्कार भारतीय कलाकारों की भारतीय तकनीक व कौशल के दिखाने वाले हैं जो बेहद खुशी की बात है.

‘नाटूनाटू...’ गाने की धुन, संगीत और उस के रिदम ने विश्वप्रसिद्ध गायिका रिहाना के गाने को पीछे छोड़ दिया. इसी तरह फिल्म ‘द एलिफैंट व्हिस्पर्स’ में सहज व सरल ढंग से हाथियों के बच्चों के साथ मानव का व्यवहार छू जाने वाला है.

भारतीय फिल्म जगत बहुत बड़ा है और अरबों की कमाई वाला है पर आमतौर पर आरोप लगता है कि यहां विदेशी फिल्मों को देख कर उन में देसी छौंके लगाए जाते हैं वरना हूबहू नक्ल होती हैं. इन आरोपों में दम है पर भारतीय फिल्म जगत अब दुनियाभर में पैर पसार रहा है और जैसेजैसे डबिंग तकनीक सुधर रही है, भारतीय फिल्मों का विदेशी बाजार बढ़ रहा है जहां उन्हें न केवल भूल भारतीयों द्वारा पसंद किया जा रहा है बल्कि विदेशियों द्वारा भी पसंद किया जा रहा है. चीन भारतीयों फिल्में का एक बड़ा बाजार बनता जा रहा है.

भारत चाहे गरीबों का बड़ा देश हो पर है बड़ा, यह इस फिल्म पुरस्कार का मिलना जताता है. औस्कर अब भारत में पहुंचने लगे हैं और हौलीवुड की इन पर मोनोपोली नहीं रह गई है. भारतीय कलाकार अब औस्कर पुरस्कारों में अक्सर नजर आने लगे हैं.

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