नरेंद्र मोदी द्वारा कांगे्रस सरकार के संयुक्त राष्ट्र संघ में सुरक्षा परिषद की परमानैंट वीटो वाली सीट पाने के कार्यक्रम को और जोरशोर से चलाने को निरर्थक ही कहा जाएगा. दुनिया की स्थिति ऐसी नहीं हुई है कि उसे गर्ज पड़ी हो कि वह भारत, जरमनी, ब्राजील व जापान को स्थायी वीटो वाले पद पर बैठा दे. संयुक्त राष्ट्र संघ, जो अपनी भारी नौकरशाही के कारण वैसे ही आलोचना का शिकार हो रहा है, अमेरिका के टुकड़ों पर पल रहा है. इन 4 देशों के पास पैसा है पर उतना नहीं कि वे अमेरिका का मुकाबला कर सकें.

एक तरह से नरेंद्र मोदी न्यूयार्क में वही कर रहे हैं जो हार्दिक पटेल अहमदाबाद में कर रहा है और जाट राजस्थान में कर रहे हैं, एक विशेष आरक्षण की मांग भीख के तौर पर मांगना. 1932 में अंबेडकर-गांधी पूना पैक्ट के तहत अंबेडकर ने दलितों के लिए जो हक लिया था वह भीख में नहीं लिया था. गांधी की गर्ज थी. 1980 में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल आयोग गिड़गिड़ाने पर नहीं दिया था. पिछड़ों का हक बन गया था. भारत व ब्राजील आज भी गरीब हैं, पिछड़े हैं, भ्रष्टाचार व लालफीताशाही के शिकार हैं, तकनीक में दूसरे देशों से सैकड़ों मील पीछे हैं. जरमनी और जापान पर द्वितीय विश्वयुद्ध में करोड़ों की मौत का जिम्मेदार होने की कालिख आज भी साफ दिखाई दे रही है.

अमेरिका, रूस, फ्रांस, इंगलैंड और चीन को कोई वजह नहीं दिखती कि 1945 के संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के समय बने नियमों में वे बदलाव लाएं और अपने लिए नए प्रतियोगी खड़े करें. ब्राजील और भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है पर उस का एक बड़ा कारण अमेरिकी कंपनियों का अपने नागरिकों की कीमत पर इन देशों में टैक्नो कुली (मजदूर) या टैक्नो स्लेव (गुलाम) बनाने के कारण है और अगर अमेरिका अपने पेंच कस दे तो भारत और ब्राजील का रंग फीका पड़ने में देर नहीं लगेगी. अगर भारत में नरेंद्र मोदी को इस क्षेत्र में सफलता दिलानी है तो शायद संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को संघ (संयुक्त राष्ट्र संघ) में प्रवेश दिलाने के लिए देशभर में अंगवस्त्र पहन कर यज्ञहवनों का आयोजन करना चाहिए जैसा पुराणों में लिखा है. एक अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ना चाहिए जो न्यूयार्क, मास्को, लंदन, पेरिस और बीजिंग में पहुंचे. संघ सेना को वाट्सऐप और फेसबुक पर करोड़ों की संख्या में संदेश जारी करने चाहिए कि 100 करोड़ हिंदुओं का देश विश्वगुरु के बाद विश्वचक्रवर्ती बनेगा और आर्यवर्तीय रामराज या वैश्विक राज की स्थापना होगी.अपने गाल बजाने में हम बहुत तेज हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सीट के लिए नरेंद्र मोदी जो बेचैनी दिखा रहे हैं वह जरमनी की एंजेला मर्केल या जापान के श्ंिजो ऐब नहीं दिखा रहे.

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