पुलिस वालों से शादी तुड़वाना का काम तो बहुत आसान और आम दिखता है पर अब पुलिस बढ़ते युवाओं के आत्महत्याओं के मामलों से ङ्क्षचतित होकर अपनी तरह जांच पड़ताल कर के उन की शादी करा रही है. आमतौर पर प्रेमी जोड़ों को शादी न करने की इजाजत जाति, उपजाति, धर्म, पैसे धर्म, रसूख, औकात के कारणों में से एक या ज्यादा रहे कारणों से नहीं की जाती.

पुलिस वाले अगर व्यस्क जोड़े को सुरक्षा दे दें तो वे अपनेआप शादी कर लें. होता क्या है जैसे ही लडक़ी शादी के लिए भागी नहीं कि मातापिता लडक़े पर अपहरण जैसा गंभीर आरोप लगा देते हैं. पुलिस वाले लडक़े के मांबाप, दोस्तों को गिरफ्तार कर लेते हैं कि वे अपहरण के अपराध में साझीदार हैं.

जेल में बंद न होने के डर से बहुत से जोड़े मातापिता की ओर से इंकार मिलने पर भागना नहीं. आत्महत्या करने का फैसला कर लेते हैं. वे जानते है कि न पुलिस उन्हें सुरक्षा देगी और न समाज अपनाएगा.

आजकल प्रेमी जोड़ों को व्यावहारिकता की भी समझ आ गई है. प्रेम कर लेना तो आसान है पर जब तक लडक़े या लडक़ी के पिता के घर में रहने को जगह न मिले, नए जोड़े के पास इतने पैसे भी नहीं होंगे कि वे किराए पर अपना घर बसा सकें. वैसे भी मकान मालिक अब पुलिस के चक्करों में फंसने के डर से भागे हुए, चाहे शादीशुदा ही क्यों न हों, जोड़ों को कर देने से हिचकिचाते है. इसलिए पुलिस अगर शादियां करवानी शुरू की तो यह अच्छा रहेगा, हो, फिर पंडित बेचैन ही उठेंगे कि उन की रोजीरोटी का क्या होगा?

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