पहले गोधरा का बहाना ले कर गुजरातियों ने 2002 में मुसलमानों को जम कर परेशान किया और नरेंद्र मोदी की राज्य सरकार की नाक के नीचे कोई 2000 मुसलिम पूरे राज्य में मारे गए, अब यही उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के हिंदी भाषी मजदूरों के साथ किया जा रहा है. गुजरात के साबरकांठा जिले के एक छोटे कस्बे में बाहरी मजदूरों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने एक गुजराती बच्ची का बलात्कार किया था. उस का बदला पूरे गुजरात में फैले उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश से आए मजदूरों से लिया जा रहा है.

यह वही बदले की भावना है जो 2002 में भगवाई लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ लगाई की कि उन्होंने रामजन्म भूमि से लौटने वाली एक ट्रेन के एक डब्बे में आग लगा दी. जब किसी खास तरह के लोगों को धमकाया हो तो कोई भी बहाना बना कर उत्पात शुरू कर देना एक पुराना तरीका है बदला लेने का और आमतौर पर उस का जम कर लाभ मिलता है. गुजरात में एक ही पार्टी का राज उसी घृणा पर टिका है जिस का बांध 2002 में खोला गया था और जिस का विषैला पानी आज भी गुजरात की सड़कों पर फैला हुआ है.

उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से आए सारे मजदूरों का लाभ गुजराती जम कर उठा रहे हैं पर यह देख कर खीज भी रहे हैं कि अब वे गुजरात में जम कर ज्यादा पैसा मांग रहे हैं और फटेहाल तरीके से रहने को तैयार नहीं हैं. वर्णव्यवस्था की नई परिभाषा लिखने वाले गुजराती इन बाहरी लोगों को पिछड़ा ही रखना चाहते हैं और ये आदेश मानने को तैयार नहीं हैं. गुजरात का उद्योग इन्हीं मजदूरों पर टिका है पर अब तो मालिक बने लगे हैं और यह पिछले 100-200 साल में पिछड़े से सेठ बने गुजरातियों के खास वर्ग को खल रहा है.

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