Delhi Transport Corporation : वर्ष 2012-13 में कंट्रोलर औडिटर जनरल (सीएजी) का औफिस सरकारी खातों की जांच की रिपोर्टों में अपने खास लोगों के पक्ष की बात करने में माहिर हो गया था जब तब के सीएजी विनोद राय ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के विरुद्ध एक के बाद एक रिपोर्टें जारी की थीं. मनमोहन सरकार पर लाखोंकरोड़ों की बेईमानी के आरोप लगे थे और 2014 में हुई कांग्रेस की हार के पीछे एक यह भी बड़ा कारण था.
इन 12-13 सालों में एक भी मंत्री पूरी तरह, तब की औडिट रिपोर्टों के आधार पर, अपराधी साबित नहीं हो पाया है जबकि उन्हीं रिपोर्टों के चलते कितनों का राजनीतिक कैरियर बरबाद हो गया. हां, विनोद राय का कैरियर बन गया और वे भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सदस्य बन गए.
अब इसी सीएजी ने आरोप लगाया है कि पिछले 6 सालों में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कौर्पोरेशन को 35,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है क्योंकि वर्ष 2009 से किराए नहीं बढ़ाए गए. औडिटर के औफिस को जनता की या सत्य की चिंता न 2013-14 में थी, न आज है. यह रिपोर्ट तब तैयार की गई थी जब भाजपा की जघन्य दुश्मन आम आदमी पार्टी की सरकार थी, लेकिन वह जारी अब की गई है.
सीएजी ने यह निर्णय कहीं नहीं लिया कि सस्ते किराए की वजह से दिल्ली चल रही है. जो लोग अपना वाहन नहीं खरीद सकते या जिन के घरों से मैट्रो बहुत दूर है या महंगी है वे डीटीसी पर पूरी तरह निर्भर हैं. औडिटर को सोशल प्रौफिट की बात भी खातों के नुकसान के साथ करनी चाहिए थी पर वह रिपोर्ट केंद्र सरकार को पसंद न आती. आज की केंद्र सरकार कोई मनमोहन सिंह सरकार थोड़ी है जो अपने नियुक्त अफसरों को पूरी स्वतंत्रता देती हो.
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