जो लोग दुनिया की बढ़ती आबादी से चिंतित हो रहे हैं उन्हें अब राहत का एहसास होगा कि चीन में 40 वर्षों से चल रही एक बच्चे की नीति को ढीला करने के बावजूद वहां बच्चों की जन्मदर बढ़ने की जगह घट ही रही है. 2016 में 1.86 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे जबकि 2017 में घट कर 1.72 करोड़ बच्चे ही पैदा हुए. ऐसे में वहां कामकाजी लोगों की कमी महसूस की जाने लगी है.

चीन की आबादी अभी घट नहीं रही है क्योंकि वहां अगर बच्चे घट रहे हैं तो मृत्युदर भी घट रही है और लोग ज्यादा दिन जी रहे हैं. अब समस्या यह आ रही है कि प्रौढ़ और वृद्धों की देखभाल कौन करेगा.

भारत में वृद्धि अभी भी काफी है और भारत जल्दी ही जनसंख्या के मामले में दुनिया का सब से बड़ा देश बन जाएगा. हालांकि सब से ज्यादा गरीब भी यहीं होंगे और सब से ज्यादा बीमार भी यहीं होंगे.

चीन ने आबादी घटाने के लिए कड़ी मेहनत की थी और अपनी जनता पर बहुत अंकुश लगाए थे. आज उसे उस का भरपूर लाभ मिल रहा है. चीन की वर्तमान प्रगति का राज उस का नास्तिक होना और बच्चों का कम होना है. चीनी न धर्म के नाम पर पैसा व समय बरबाद करते हैं और न ही उन्हें ज्यादा बच्चे पालने में अपने काम छोड़ने पड़ते हैं.

बच्चों से बहुत सुख मिलता है, पर जितने सुख गिनाए जाते हैं उस से ज्यादा आफतें होती हैं. जब तक केवल कृषि पर आधारित समाज था, बच्चे जैसेतैसे खेतों के किनारे पल जाते थे, पर जब से उत्पादन फैक्टरियों में होने लगा और सेवा क्षेत्र बढ़ने लगा है, तब से घर व काम करने की जगहें अलग हो गई हैं और दूसरे कामों के साथ बच्चे पाले नहीं जा सकते.

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