बरसात में सड़क का पानी घर में न घुसे, इस के लिए देशभर में सड़कों से 1-2 फुट ऊंची जमीन पर मकान बनाए जाते हैं. ऐसे में मकान में जाने के लिए सड़क पर रैंप या सीढि़यां बनाना जरूरी हो जाता है. कहीं कोई मकान ज्यादा ऊंचाई पर होता है क्योंकि बरसात का पानी वहां इतना हो जाता है कि नालियों से निकल नहीं पाता और मकान में घुसने का डर रहता है. शाहरुख खान ने अपने बांद्रा के मकान में कुछ ऐसा ही किया जो देशभर में किया भी जा रहा है. चूंकि इस सैलिब्रिटी को निशाना बनाना आसान है, उस पर जम कर आरोप लग रहे हैं और रैंप तोड़ने की मांग की जा रही है. इस बाबत तरहतरह के तर्क दिए जा रहे हैं. और लगता है करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वाले शाहरुख खान को कुछ मुट्ठी भर लोगों की मांग पर झुकना ही पड़ेगा. वैसे, यह गलती नगर निकायों की है जो बिना पूरी योजना के सड़कें बनाती हैं, नालियां प्लान करती हैं. देशभर में सड़कों, गलियों पर पानी जमा होना आम बात है और निचले घरों में पानी का घुस जाना भी अनजाना नहीं है. बहुत मकान वालों को निचली मुंडेर, दीवार, सीढि़यां केवल पानी को रोकने के लिए बनानी होती हैं पर इन मामलों में नगर निकायों के इंजीनियरों को कोई दोष नहीं दिया जाता क्योंकि हमारा सिद्धांत है ‘किंग कैन डू नो रौंग’, सरकार गलती कर ही नहीं सकती. हमारे यहां तो नियम है कि आम आदमी हमेशा गलत होता है और वह सांस भी ले तो कोई कानून जरूर भंग कर रहा होगा.

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