नरेंद्र मोदी के रौकेट पर सवार हो कर चांद को जीतने के जो सपने भारतीय जनता पार्टी के कट्टरपंथियों ने देखे थे, वे छिन्नभिन्न हो रहे हैं. पहले ही दिन लालकृष्ण आडवाणी के रूप में एक इंजन फेल हो गया. कामचलाऊ मरम्मत कर के उसे लगाया गया है पर वह कितना पुश करेगा, अभी मालूम नहीं. सप्ताह बीता नहीं था कि दूसरा इंजन नीतीश कुमार अलग हो गया. अब वहां लटके तार भाजपा को मुंह चिढ़ा रहे हैं.
उधर, एक और इंजन शिवसेना के उद्धव ठाकरे ने घर्रघर्र करना शुरू कर दिया.?क्योंकि नरेंद्र मोदी के अपने 15 हजार गुजराती यात्रियों को उत्तराखंड से हनुमान स्टाइल में बचा लाने के ढोंग की पोल खुल गई.
अब भारतीय जनता पार्टी मरम्मत में लगी है. नरेंद्र मोदी मुख्य घोषित किए जा चुके हैं. उन्हें पद चाहे कोई भी दिया गया है, काम उन्हें ही करना है. बेचारे अपने से कहीं छोटे, कद में भी, आयु में भी और पद में भी, उद्धव ठाकरे के घर मुंबई में गए और 20 मिनट तक उन्हें मनाने की कोशिश की.
भाजपा उन बी एस येदियुरप्पा को भी मनाने में लगी है जो बेईमानी के कारण मुख्यमंत्री पद से हटाए गए तो पार्टी छोड़ दी थी और अपनी पार्टी बना कर कर्नाटक के चुनाव लड़े. नतीजतन, भारतीय जनता पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. अब उसी रिश्वतखोर, बेईमान को ससम्मान पार्टी में लाया जा रहा है.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की मीटिंग होती थीं तो लालकृष्ण आडवाणी का घर छोटा पड़ता था. लेकिन अब तो किसी हल्दीराम के रैस्तरां में 4 कुरसियां लगाओ, एनडीए की बैठक हो जाएगी. नरेंद्र मोदी जैसे दंभी व अक्खड़ व्यक्ति को अकेला नेता मानने की भाजपा और संघ के आम सदस्यों की चाहे जो मजबूरी हो पर देश इस तरह नहीं चलते. अगर भारत को सोमालिया या रवांडा नहीं बनने देना है तो ऐसा नेता चुनें जिस की जमीन घृणा की दलदल पर न टिकी हो. भारत जैसे विशाल देश को तलवार की नोक पर नहीं चलाया जा सकता, यह मुगलों ने भी समझा था, अंगरेजों ने भी और फिर कांग्रेस ने भी.