BJP : अपनी बात मनवाने का सब से अच्छा तरीका यह होता है कि बात को तोड़मोड़ दो. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बराबरी के हक के लिए जातीय जनगणना की बात करनी शुरू की तो भारतीय जनता पार्टी ने इस को तोड़मोड़ कर इसे हिंदूमुसलिम का नैरेटिव बनाते हुए कहना शुरू कर दिया- बंटेंगे तो कटेंगे.
जब इस बंटेंगे की व्याख्या शुरू होने लगी तो बजाय यह मानने के कि बांटने वाली तो ब्राह्मणी व्यवस्था है जो जातियों और वर्णों में जन्म के नाम पर बांटती है तो भाजपाइयों ने गालीगलौच शुरू कर दी और कहने वालों की पीढि़यों की कब्रें खोदनी शुरू कर दीं.
यह हर देश में हर जगह होता है, कहीं कम कहीं ज्यादा. शिवसेना के बाल ठाकरे के पुरखे मुंबई में पैदा तो नहीं हुए थे. मुंबई तो टापुओं की जगह थी, वीरान थी. यहां बस्तियां बाहर से आए अंगरेजों ने बसाईं जिन में भारत के दूसरे हिस्सों से आ कर लोग बसे. अब यह फर्क नहीं पड़ेगा कि पड़ोस के गुजरात से आए, दूर के तमिलनाडु से आए, वहीं बिलकुल पास के पूना, कोल्हापुर, शोलापुर से आए. सभी बाहरी थे. लेकिन शिवसेना ने बाहरी लोगों के नाम पर पहले दक्षिण भारतीयों की मौजूदगी पर सवाल उठाए, फिर कभी गुजराती सेठों पर उठाए तो कभी सिख टैक्सी ड्राइवरों पर तो कभी बिहारी मजदूरों पर.
आज मुंबई सैकड़ों तरह की भाषाएं बोलने वाले सैकड़ों गांवों से आए लोगों का शहर है मेक महाराष्ट्र ग्रेट अग्रेन का नारा लगा कर मराठी संस्कृति मुंबई पर नहीं थोपी जा सकती.
आज कोई देश अपनेआप में द्वीप नहीं है, कटा हुआ नहीं है. सब का हुलिया एक सा है, सब जुड़े हैं कहीं जमीन से, कहीं पानी से, कहीं तारों से और सब से बड़ी बात उसी सूरज से, उसी आसमान से जो हर जगह एकजैसा है. कोई देश बांट सकता ही नहीं है तो जोड़ने का सवाल कहां से पैदा होता है. मानव अधिकार सब जगह एकजैसे हैं.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन