उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मजनुओं को पकड़ने का अभियान यों तो सही है पर यह समाज की दुर्दशा बयां करता है. इस अभियान में हर पुलिस चौकी में 3-4 सिपाहियों की टीम बनाई गई है जो सड़क पर जमा छोकरों को छेड़खानी करते पकड़े जाने पर हिरासत में ले लेगी. टीम के लोग अविवाहित लगने वाले जोड़ों को भी फटकार लगाएंगे ताकि देश का चारित्रिक स्तर सुधरे.
इस का अर्थ साफ है कि सदियों के धर्मप्रचार, प्रवचनों, मंत्रों, हवनों, पूजापाठों, मूर्तिपूजाओं, आश्रमों, मठों की मौजूदगी के बावजूद धर्म अपने ही भक्तों व श्रद्घालुओं को आज तक सभ्यता का पहला पाठ, दूसरों की इज्जत करो और औरतों की सुरक्षा करो, नहीं सिखा पाया है. घंटों चलने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में भगवानों व देवताओं के चमत्कारों का विस्तृत विवरण होता है और प्रवचन करने वाले बारबार संतों की सेवा करने का आदेश तो देते हैं पर क्या वे भक्तों को सही व्यवहार करने का आदेश नहीं दे सकते. जो भगवान भक्तों के घर भर सकते हैं वे क्या भक्तों की औरतों को सुरक्षा नहीं दे सकते? क्या भगवान वाकई इतने कमजोर ही हैं कि वे सिर्फ महंतों, संतों, भगवाओं को सत्ता, धन, स्त्री, गौ सुख दे सकते हैं?
योगी आदित्यनाथ जिस धार्मिक जोश के सहारे मुख्यमंत्री बने हैं, उसे भगवा वरदी की जगह खाकी वरदी की जरूरत ही क्यों पड़ी?
असल में धर्म ने कहीं भी औरतों या कमजोरों को सुरक्षा नहीं दी. उस ने उन्हें हमेशा अपने सुखों के लिए इस्तेमाल किया. राजा धर्मों का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में करते रहे हैं और बदले में धर्मगुरु उन्हें भगवान के रूप में जनता में प्रचारित करते रहे हैं. धर्म ने आम आदमी की न तो प्रकृति से रक्षा की है, न बाहरी दुश्मनों से और न ही स्थानीय गुंडों से. अब धार्मिक पुलिस बन रही है जो राजनीतिक दुश्मनी भी निकालेगी और दिखावे के लिए मजनुओं को ठीक करेगी. सड़कछाप लड़कों, लफंगों को ठीक करने के लिए पुलिस को तो हमेशा ही तैयार रहना चाहिए. जब इस आदेश पर धार्मिक मुलम्मा चढ़ा होगा तो इस का भरपूर दुरुपयोग होगा ही.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन