शुगर यानि डायबिटीज की बीमारी से त्रस्त लोग कुछ सालों बाद यह कहने मजबूर हो ही जाते हैं कि डायबिटीज ठीक होने बाली बीमारी नहीं, बल्कि शुगर मेनेज करने का सलीका है. जाहिर है उनका इशारा परहेज की तरफ होता है. इस बीमारी में लोग शक्कर तो शक्कर, आलू और चावल जैसी ज्यादा कार्बोहाइट्रेट वाली चीजों से भी परहेज करने लगते हैं. लेकिन गेहूं जैसे रोजमरराई अनाज से मुंह मोड पाना उनके लिए मुमकिन नहीं हो पाता. इस बीमारी के बढ़ने पर एक मुकाम ऐसा भी आता है कि गेहूं से भी शुगर बढ़ने लगती है, इसलिए हाट बाजारों में मरीज मोटे अनाज वाला आटा ढूंढते नजर आते हैं, जिसमे कार्बोहाइट्रेट कम होता है.

डायबिटीज से पीड़ितों के लिए एक अच्छी खबर मध्यप्रदेश के खंडवा शहर से आ रही है जहां के भगवंतराव मंडलोई एग्रीकल्चर कालेज के वैज्ञानिकों ने गेहूं की शुगर फ्री किस्म ईजाद करने में कामयाबी हासिल कर ली है. इस किस्म को ए-12 नाम दिया गया है. कालेज के डीन डा पीपी शास्त्री और कृषि वैज्ञानिक सुभाष रावत की मानें तो ए-12 किस्म की अपनी खूबियां हैं, मसलन इसमें गेहूं की दूसरी किस्मों के मुकाबले रेशे और छिलके की मात्रा ज्यादा है और इसके गुण बाजरे की तरह हैं. मेथी के आकार वाली यह किस्म पचती भी जल्दी है, इसमे प्रोटीन की मात्रा भी कम है.

पिछले साल सफल परीक्षणों के बाद इसे किसानों को वितरित किया गया है, जिससे किसान प्रोत्साहित हों और ज्यादा से ज्यादा रकबे में इसे बोएं. अगर संबंधित सरकारी एजेंसियों ने इस किस्म को मान्यता दी तो तय है बाजार में भी खासी हलचल मचेगी, क्योंकि आटा बनाने वाली कई नामी कंपनियां अभी लगभग शुगर फ्री आटा अलग अलग तरीके से प्रचार कर बेच रही हैं, लेकिन ग्राहक उनसे आश्वस्त नहीं हैं. ए-12 किस्म चूंकि प्रामाणिक तौर पर शुगर फ्री होगी, इसलिए इसका आटा हाथों हाथ बिकना तय है. जिस तेजी से डायबिटीज के मरीजों की तादाद बढ़ रही है उसे देखते ऐसी किसी किस्म की जरूरत भी महसूस हो रही थी.   

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