सौजन्या- सत्यकथा

जैसेजैसे तकनीकी का विकास होता जा रहा है, लोग भी जागरूक होते जा रहे हैं. अब ठगों ने भी आधुनिक तकनीकी का लाभ उठाते हुए पढेलिखे लोगों को एक नए तरीके से ठगना शुरू कर दिया है. अब कुछ ठगों ने लोगों को रेडियोधर्मी नामक दुर्लभ धातु ‘राइस पुलर’ के नाम पर लाखोंकरोड़ों रुपए की ठगी करनी शुरू कर दी है.

ऐसा ही एक मामला दिल्ली पुलिस ने व्यापारी संजय गुप्ता की शिकायत पर उजागर किया है. पुलिस ने जिन ठगों को गिरफ्तार किया है, उन्होंने स्वीकार किया है कि वह लगभग 100 लोगों से 10 करोड़ रुपए की ठगी कर चुके हैं. उत्तर पश्चिमी दिल्ली के आदर्श नगर के रहने वाले व्यापारी संजय गुप्ता की एक दिन मुन्नालाल नाम के व्यक्ति से मुलाकात हुई. बाद में उन दोनों के संबंध बहुत गहरे हो गए. तो मुन्नालाल ने संजय गुप्ता को राइस पुलर के बारे में बताया.

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व्यापारी संजय गुप्ता राइस पुलर के बारे में कुछ नहीं जानते थे. मुन्नालाल ने बताया है कि राइस पुलर एक बेशकीमती धातु होती है. जिस का प्रयोग नासा, डीआरडीओ, इसरो स्पेस में भेजे जाने वाले अपने उपग्रह में करते हैं.उस की बात सुनकर संजय गुप्ता के मन में भी एक जिज्ञासा पैदा हुई. उन्होंने उसी समय अपने मोबाइल फोन में गूगल पर राइस पुलर के बारे में सर्च करना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में राइस पुलर के बारे में तमाम जानकारी उन के सामने आ गई.

गूगल पर राइस पुलर के बारे में ढेर सारी जानकारी मिलते ही संजय गुप्ता समझ गए कि राइस पुलर वास्तव में एक महंगी धातु है. वहां से उन्हें यह भी पता चल गया कि असली राइस पुलर की पहचान क्या होती है.इस के बाद मुन्नालाल ने उन से कहा कि मेरे पास एक ऐसी पार्टी है, जो राइस पुलर की तांबे की प्लेट को बांग्लादेश से स्मगलिंग कर के लाई है. आप चाहें तो खुद उस प्लेट को देख लें. लेकिन यह बात तय है कि जितने पैसे में आप उसे खरीदेंगे, उस से कई गुना दामों में नासा वाले उसे खरीद लेंगे.
संजय गुप्ता व्यापारी थे, उन्हें इस धंधे में फायदा होता दिखा तो उन की दिलचस्पी भी बढ़ गई. उन्होंने उस से पूछा कि यह कितने पैसों में मिल सकती है.

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