दुनिया के कई देश सैक्स टूरिज्म के लिए जाने जाते हैं जिन में थाईलैंड, इंडोनेशिया, फिलीपींस, जरमनी, स्पेन शामिल हैं. भारत में भी सैक्स का कारोबार फलफूल रहा है पर इसे यहां नजरअंदाज किया जाता है. देहरादून के पास एक रिजौर्ट में अंकिता भंडारी की हत्या इस बात को जाहिर करती है कि रिजौर्टों में सैक्स किस तरह मिल सकता है. इस लड़की ने यह काम करने से मना किया तो इस की हत्या कर दी गई पर बहुत सी किसी लालच या मजबूरी में यह करने के लिए आसानी से तैयार हो जाती हैं. आज 10वीं, 12वीं पास लड़कियों के पास कोई काम नहीं है, कोई हुनर नहीं है,

कोई नौकरी नहीं है. वे छोटीमोटी नौकरी के बहाने इस तरह के काम के लिए तैयार हो जाती हैं. कुछ साल पहले पब्लिक तथा राजनीतिज्ञों के भारी दबाव के कारण महाराष्ट्र सरकार को मुंबई के तमाम डांसबारों को मजबूरन बंद करवाना पड़ा. लेकिन, पौंडिचेरी में इस का व्यापार आज भी तेजी से फलफूल रहा है. इस में दो मत नहीं कि पौंडिचेरी जैसे कई शहरों में कई दशक से देशीविदेशी टूरिस्टों को आकर्षित करने के लिए तरहतरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जिन में सैक्स टूरिज्म का व्यापार भी शामिल है. यह कहने की जरूरत नहीं कि यहां के होटलों में हमेशा सैक्स टूरिस्टों का जमावड़ा लगा रहता है.

वीकैंड में तो इतनी भीड़ रहती है कि यहां के होटलों और गैस्टहाउसों में रूम तक मिलना असंभव रहता है. इस का एक बहुत बड़ा कारण यह है कि यहां दक्षिण भारत से ही नहीं, मुंबई तक से बहुत बड़ी संख्या में सैक्स टूरिस्ट आते हैं और देहव्यापार में लिप्त होते हैं. यह भी एक कटु सत्य है कि देश के कितने ही होटलों में न्यूड डांस वर्षों से चल रहा है जो आम बात है. शाम घिरने के साथ ही होटलों में महफिलें घिरने लगती हैं. साढे़ छह, साढे़ आठ और रात साढे़ दस यानी 3 शिफ्टों में चलने वाले शो में ग्राहक उपस्थित होते हैं जिन से प्रति व्यक्ति ढाई से 3 हजार रुपए वसूले जाते हैं.

इस प्रकार प्रतिदिन लगभग डेढ़ लाख की कमाई हो जाती है. सैक्स वर्कर तथा डांसबार की लड़कियों के बीच काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था की कार्यकर्ता श्यामली के शब्दों में, ‘‘यहां काम करने वाली अधिकतर युवतियां केरल तथा आंध्र प्रदेश की होती हैं. जिन के लिए यह धंधा छोड़ना काफी मुश्किल होता है क्योंकि अधिकतर युवतियां होटल मालिकों से लोन लेती हैं जिसे लौटाना भी होता है. इसी दबाव में वे चाह कर भी इस धंधे को छोड़ नहीं पातीं.’’ महिलाओं द्वारा किसी सार्वजनिक स्थल पर न्यूड डांस करना भारत में पूरी तरह गैरकानूनी है. लेकिन यहां के होटलों तथा क्लबों में यह धड़ल्ले से चल रहा है. हजारों की संख्या में लड़कियां इस के लिए बेची भी जा रही हैं और इस के लिए लड़कियों की तस्करी भी की जा रही है.

प्रति वर्ष टूरिज्म से कितनी ही विदेशी मुद्रा भारत में आती है जिस में खासा सैक्स टूरिज्म की वजह से आती है. वुमन एंड चाइल्ड डैवलपमैंट के अध्ययन की रिपोर्ट के माध्यम से जब इस का खुलासा हुआ तो पूरे सरकारी महकमे में खलबली मच गई थी. केंद्र सरकार जब तक इस को ले कर गंभीर होती, उस बीच आंध्र प्रदेश की सरकार ने तिरुपति जैसे धार्मिक शहर में बढ़ते एचआईवी की संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेज दी जिसे देख कर केंद्र सरकार की चिंता और बढ़ गई. सरकार तथा सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों के बीच इस बात को भी ले कर चिंता होने लगी कि भारत में तेजी से टूरिस्ट इंडस्ट्रीज के ग्रोथ में देह व्यापार तथा वेश्यावृत्ति आग में घी का काम कर रहे हैं.

इस खतरनाक समस्या की गंभीरता तथा संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने दुरुस्त कदम उठाते हुए एक स्वंयसेवी संस्था को इस के कारणों की पड़ताल की जिम्मेदारी इस शर्त पर सौंपी कि इस की रिपोर्ट सार्वजनिक न की जाए. संस्था ने 18 राज्यों में विभिन्न टूरिस्ट सैंटरों तथा धार्मिक स्थलों में आजकल अध्ययन किया, जिस में अब तक एक हजार से भी अधिक पीडि़तों तथा भुक्तभोगियों से बातचीत की. उक्त संस्था से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है, ‘‘मैं बस, इतना कहना चाहती हूं कि भारत में सैक्स इंडस्ट्री चिडि़या के पर की तरह अपना विस्तार कर रही है. डाटा इस ओर संकेत करता है कि मूल समस्या देश के अंदर के टूरिस्टों यानी डोमैस्टिक टूरिस्टों से है जो आग में घी का काम रहा है.’’ सीमापार से घुसपैठ यह कहने की अब जरूरत नहीं रही कि पिछले एकडेढ़ दशक से भारत गैरकानूनी रूप से सैक्स टूरिज्म का अभयारण्य बना हुआ है.

इस के लिए भौगोलिक, राजनीतिक तथा प्रशासनिक तंत्र जिम्मेदार माने जा सकते हैं. जगहजगह खुली सीमाएं तथा सुरक्षा व्यवस्था में तमाम तरह की खामियों के चलते नेपाल, बंगलादेश, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से बहुत बड़ी संख्या में लड़कियों और महिलाओं की अवैध तरीकों से मानव तस्करों द्वारा भारतीय सीमाओं में घुसपैठ कराई जाती है. इस में कोई दोराय नहीं कि भारतीय सीमा से बंगलादेश के 28 जिले जुड़े हैं जिन का नाजायज फायदा तस्कर समयसमय पर उठाते रहते हैं. भौगोलिक स्थिति पर गौर करें तो इस के पश्चिमी सीमा पर पश्चिम बंगाल तथा उत्तरी सीमा पर असम राज्य हैं जिन्हें पार कर पड़ोसी देश नेपाल, बंगलादेश, पाकिस्तान तथा श्रीलंका की सैक्स व्यापार से जुड़ी लड़कियां तथा महिलाएं भारत की यात्रा करती हैं या फिर इस से जुड़े तस्कर इन की भारत में घुसपैठ कराते हैं.

इस में दो मत नहीं कि पिछले कई सालों से बंगलादेश, नेपाल तथा श्रीलंका के मानव तस्करों के निशाने पर भारत रहा है. वहां से हजारों की संख्या में बच्चे, लड़कियां तथा महिलाओं की गैरकानूनी रूप से घुसपैठ कराई जा रही है जो यहां के बड़ेबड़े शहरों के होटलों, धार्मिक तथा पर्यटन स्थलों में सैक्स व्यापार का गैरकानूनी धंधा करती हैं. ये पर्यटकों की डिमांड पर एक शहर से दूसरे शहर की भी यात्रा करती हैं. इतना ही नहीं, ये जरूरत पड़ने पर विदेश तक की भी यात्रा करती हैं और कौलगर्ल के रूप में अपनी सेवा प्रदान करती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 2 लाख नेपाली महिलाएं तथा लड़कियां भारत के बड़े शहरों, जैसे मुंबई, पुणे दिल्ली तथा कोलकाता के टूरिस्ट प्लेसों में धंधा कर रही हैं. इन में लगभग 20 फीसदी यानी 40 हजार की उम्र 16 साल से कम है.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 50 बंगलादेशी लड़कियां सीमा पार कर भारत में बेची जाती हैं. ये भी देश के बड़े शहरों तथा मैट्रो सिटीज, धार्मिक, ऐतिहासिक तथा दूसरे पर्यटन स्थलों के देशीविदेशी टूरिस्टों को अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं. एक अन्य आंकड़े के अनुसार लगभग 4 लाख बंगलादेशी औरतें भारत में सैक्स टूरिज्म के धंधे से जुड़ी हुई हैं. करीब 3 लाख प्रतिवर्ष यहां से दूसरी जगहों पर तस्करी द्वारा भेजी जाती हैं. जब किसी राज्य की पुलिस इन पर कानूनी शिकंजा कसने लगती है तो ये अपना ठिकाना बदलने में तनिक भी देर नहीं करतीं और सुरक्षित स्थानों पर चली जाती हैं. जैसे यदि गोवा या कर्नाटक के कोवाला में पुलिस छापेमारी करती है तो ये वारकाला, कोचीन या केरल में कुमिली या कर्नाटक के दूसरे समुद्रतटीय इलाकों में चली जाती हैं और वहां धंधा करने लगती हैं.

इतना ही नहीं, पड़ोसी देश के तस्कर भारत की जमीन को ट्रांजिट जोन के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. बंगलादेश, नेपाल और श्रीलंका के तस्कर और सैक्स वर्कर भारत की जमीन को शरणस्थली यानी ठिकाना भी बनाते हैं. अर्थात, इन देशों की लड़कियों, बच्चों तथा महिलाओं को दक्षिणपूर्व एशिया, जैसे सिंगापुर, मलयेशिया, इंडोनेशिया, थाइलैंड, केन्या या फिर ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात आदि खाड़ी देशों या फिर दुनिया के किसी भी देश में भेजने के पहले बौर्डर क्रौस करा कर भारत लाते हैं और फिर समुद्री रास्ते या फिर दूसरे तरीके से जालसाजी कर इन देशों में भेजते हैं. एक अनुमान के अनुसार भारत के रास्ते प्रतिवर्ष करीब एक लाख नेपाली तथा 50 हजार बंगलादेशी लड़कियां गैरकानूनी रूप से भारतीय जमीन का इस्तेमाल कर दूसरे देशों के वेश्यालयों में भेजी जाती हैं. देश के अंदर भी नाबालिग लड़केलड़कियां तथा औरतें एक जगह से दूसरी जगह स्मगल किए जाते हैं. ग्रामीण, देहाती और पिछड़े इलाकों की महिलाएं तथा लड़कियां तस्करी के माध्यम से शहरी इलाकों में भेजी जाती हैं.

कोई भी देश अछूता नहीं कानून के अनुसार सामान्यतया वयस्क को किसी वेश्यालय में जाना अपराध नहीं माना जाता. लेकिन नाबालिग लड़का या लड़की का इस में संलग्न होना अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा स्वदेश में करें या विदेश में, दोनों ही स्थितियों में अपराध माना जाता है. जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि इस के लिए अपने देश के अंदर यात्रा करने को घरेलू सैक्स टूरिज्म तथा विदेश की यात्रा करने को इंटरनैशनल एडल्ट सैक्स टूरिज्म कहते हैं. यह कारोबार मल्टीबिलियन डौलर इंडस्ट्री के रूप में पूरी दुनिया में फैला हुआ है और लाखों लोग इस से जुड़े हैं. ऐसी बात नहीं कि इस से केवल सैक्स उद्योग को ही फायदा होता है, एयरलाइंस, टैक्सी, रैस्टोरैंट तथा होटल इंडस्ट्री को भी इस से फायदा होता है. लेकिन मानवाधिकार से जुड़े संगठन इस से इस बात को ले कर परेशान रहते हैं कि इस इंडस्ट्री से मानव तस्करी और बाल वेश्यावृति को प्रोत्साहन मिलता है.

इस में दो मत नहीं कि सैक्स टूरिज्म केवल भारत की ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए समस्या बना हुआ है. एक आंकड़े के अनुसार लगभग साढ़े 6 लाख पश्चिमी देशों की महिलाएं तथा पूरी दुनिया में लगभग 20 लाख बच्चे इस उद्योग से जुड़े हुए हैं. लैटिन अमेरिका तथा साउथईस्ट एशिया में सड़कों के आवारा बच्चे इस धंधे से जुड़े हुए हैं. थाईलैंड, ब्राजील, कंबोडिया, भारत तथा मैक्सिको जैसे देशों में नाबालिग लड़केलड़कियों के साथ यौनव्यभिचार की घटनाएं ज्यादा होती हैं. थाईलैंड में तो 40 फीसदी नाबालिग इस धंधे का हिस्सा हैं, कंबोडिया में एकतिहाई सैक्स वर्कर 18 वर्ष से कम उम्र की हैं और भारत में लगभग 20 लाख बच्चे इस धंधे में लगे हुए हैं. हर जगह इस को ले कर कड़े कानून बने हुए हैं. इस कानून के अनुसार कोई भी अमेरिकी इस धंधे में नहीं लिप्त हो सकता. जो भी हो, इस धंधे में लगे लड़केलड़कियों को कई तरह के शारीरिक तथा मानसिक शोषण के दौर से गुजरना पड़ता है,

जिस की वजह से एड्स, प्रैग्नैंसी, कुपोषण, नशीली दवाओं के आदी होने से ले कर इन की मौत तक हो जाती है. यूनाइटेड नैशंस की टूरिज्म एजेंसी के अनुसार, ‘‘किसी टूरिस्ट सैक्टर या फिर इस के बाहर के सैक्टर द्वारा ऐसी व्यवस्था करना जिस का पहला उद्देश्य स्थानीय लोगों को टूरिस्टों द्वारा व्यावसायिक यौन संबंध स्थापित करना होता है, सैक्स टूरिज्म कहलाता है. ये व्यावसायिक सैक्स एक्टिविटीज की पहचान के लिए कई तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जैसे एडल्ट सैक्स टूरिज्म, चाइल्ड सैक्स टूरिज्म तथा फीमेल सैक्स टूरिज्म. आज की तारीख में यह व्यवसाय पूरे विश्व में मल्टीबिलियन डौलर के रूप में फैला हुआ है.’’ जो देश सैक्स टूरिज्म के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं उन में थाईलैंड, ब्राजील, श्रीलंका, क्यूबा, कोस्टारिका, डोमीनिकल रिपब्लिक तथा केन्या आदि शामिल हैं.

इस के अतिरिक्त कई ऐसे देश हैं जिन का कोई खास क्षेत्र या शहर इस के लिए प्रसिद्ध है, जो मूलरूप से रैडलाइट डिस्ट्रिक्ट या एरिया के रूप में जाने जाते हैं, जैसे एम्सटर्डम (नीदरलैंड), जोना नोटी, टियूआना (मैक्सिको) तथा रियो डी जैनेरियो (ब्राजील) बैंकौक, पटाया तथा फुकेट (थाईलैंड) क्राइनिया (यूक्रेन) आदि. इस के अतिरिक्त और भी कई ऐसे एरिया हैं जो इस के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं. विदेशों में भी इस धंधे से जुड़ी महिलाएं धंधे के लिए एक देश से दूसरे देश की यात्रा करती हैं या फिर विशेष रूप से तस्करों द्वारा पहुंचाई जाती हैं. लगभग 80 हजार उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप की महिलाएं प्रतिवर्ष इस के लिए जमैका की यात्रा करती हैं.

नेपाल सरकार द्वारा सही दिशा में किए जा रहे प्रयास के बावजूद भारत से प्रतिवर्ष 10 से 15 हजार नेपाली महिलाएं तथा लड़कियां तस्करों द्वारा विदेशों में सैक्स व्यापार के लिए भेजी जा रही हैं. संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी 8वीं वार्षिक मानव तस्करी रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, सहीसही आंकड़ों के अभाव में यह संख्या बढ़ भी सकती है. वहां की स्वयंसेवी संस्था, जो मानव तस्करी पर शोध कर रही है, उस की रिपोर्ट के अनुसार घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय तस्करी में लगातार वृद्धि हो रही है. अधिकतर स्थितियों में सैक्स एक्सप्लौइटेशन की ही बात उभर कर सामने आ रही है. जिस में राजनीतिज्ञों, व्यवसायी, अधिकारी, पुलिस, कस्टम अधिकारी तथा सीमा पर तैनात पुलिस की मिलीभगत तथा सहमति जगजाहिर है. इन्हीं के इशारे पर मानव तस्करी का इतना व्यापक तथा विशाल रैकेट चल रहा है, इस से इनकार नहीं किया जा सकता.

भारत के अतिरिक्त एशिया के दूसरे देशों, जैसे मलयेशिया, हौंगकौंग तथा साउथ कोरिया के देशों में भारत से लड़कियों, बच्चों तथा महिलाओं को यौनशोषण व मजदूरी के लिए जबरन भेजा जा रहा है. एक रिकौर्ड के अनुसार, करीब 10 लाख से भी अधिक नेपाली पुरुष तथा महिलाएं इसराईल, संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा दूसरे खाड़ी देशों में मजदूरी और यौनशोषण के लिए तस्करों तथा मैन पावर एजेंसीज द्वारा भेजे जाते हैं. इन देशों में इन से कई तरह के काम लिए जाते हैं, जैसे घरेलू नौकर, बड़ेबड़े भवनों के निर्माण में मजदूर के रूप में या फिर छोटेछोटे धंधों में लगाए जाते हैं. इस के लिए इन्हें तरहतरह की प्रताड़नाएं भी दी जाती हैं जिन में पासपोर्ट जब्त कर लेना, घूमनेफिरने की मनाही, तनख्वाह का भुगतान नहीं करना तथा धमकी देने से ले कर यौनशोषण तक शामिल हैं.

अभी जुलाई में उज्बेक लड़कियों को नेपाल से भारत मोटरबाइक पर लाया गया क्योंकि उस पर चैकिंग कम होती है और उज्बेक लड़की अपने को नेपाली आसानी से कह सकती है. एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट ने दिल्ली के मालवीय नगर में विदेशी युवतियों को पकड़ा जो सैक्स टूरिज्म के लिए लाई गई थीं. भारत के कोलकाता में सोनागाछी, लैकिंगटन रोड, दहिसर, बोरीविकी, कमाठीपुरा मुंबई में, बुधवार पेठ पूना का, मीरगंज इलाहाबाद का, दिल्ली की जीबी रोड, इतवारा इलाका नागपुर का, चतुर्भुज स्थान मुजफ्फरपुर, बिहार का, शिव की नगरी वाराणसी में शिवदासपुर उन कुछ जगहों के नाम हैं जहां सैक्स टूरिज्म फलफूल रहा है. बहुत से तीर्थस्थल जैसे उज्जैन, इलाहाबाद भी अपने वेश्याओं के इलाकों के लिए जाने जाते हैं. लोग पूजापाठ कर के वहां जाते हैं, यह बताने की जरूरत नहीं है.

भारत की स्थिति चिंताजनक इस में शक नहीं कि सैक्स टूरिज्म और मानव तस्करी के मामले में भारत की स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. यहां इस का धंधा बहुत तेजी के साथ फलफूल रहा है जिस के लिए राजनीतिक, आर्थिक और भौगोलिक कारण जिम्मेदार माने जा सकते हैं. एक तो यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि पड़ोसी देशों से बहुत बड़ी संख्या में नाबालिग लड़केलड़कियों की तस्करी आसान है क्योंकि यहां की सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षाप्रूफ नहीं हैं जिस का फायदा मानव तस्कर उठाने से बाज नहीं आ रहे. दूसरी बात यह है कि यहां के राजनीतिज्ञों तथा कानून नियंताओं में भी इच्छाशक्ति की घोर कमी है जिस के कारण इस को रोकने के लिए कोई कड़ा कानून बन ही नहीं पा रहा है. यदि बन भी रहा है तो उस का पालन ईमानदारीपूर्वक नहीं हो पा रहा है. तीसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यहां इतनी ज्यादा गरीबी है कि इस का भी फायदा तस्कर उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं. पैसे का प्रलोभन दे कर गरीब मांबाप से ये लोग इन की बेटियों को खरीद कर उन्हें जिस्मफरोशी के धंधे में ?ांकने से बाज नहीं आते.

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