अगर जाति, धर्म और महिला में से किसी के साथ में इतनी बड़ी कोई घटना घटी होती तो पूरा देश उबल रहा होता.परन्तु 6 लोगो की एक साथ हत्या पारिवारिक जमीनी विवाद में हुई हैं इस लिए समाज, राजनीति और कानून को फर्क नही पड़ता. पुलिस हत्यारो से पूछताछ करने के लिए उनकी मानसिक स्वास्थ्य को ठीक होने का इंतजार कर रही हैं. समाज भी उन 6 बेसमय मारे गए लोगो को लेकर आक्रोश में नही है. देश मे अपराध की गम्भीरता कानून की धाराओं के हिसाब से नही जाति धर्म और लैंगिक भेदभाव से तय होती है.जब तक कानून में हिसाब से अपराध को नही देखा जाएगा तब तक देश मे ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता.

तहसील, प्रशासन और थानों की कमी

तहसील, पुलिस औऱ सरकार जमीनों से अवैध कब्जे हटाने और दबंगो को सबक सिखाने में पूरी तरह से फेल है. यही वजह है कि दबंग किस्म के लोग जमीन और खेत पर जबरन कब्जा करते है और जब उनको किसी तरह से कब्जा छोड़ने पर मजबूर किया जाता है तो हिंसक वारदात कर देते हैं. पुलिस न्याय देने की जगह पर लाशों को पोस्टमार्टम करने के लिए भेज कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाती हैं. ऐसे विवादों में सबसे अधिक जिम्मेदार तहसील पर तो कोई उंगली भी नही उठाता है. ऐसी घटनाएं जब परिवार में होती हैं तो उनको बड़ी आसानी से पारिवारिक विवाद बता कर पल्ला झाड़ लिया जाता है.

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बंथरा थाने में एक ही परिवार में 6 लोगों की हत्या भी इसकी ताजा कड़ी है. इसके बाद भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी। जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जाना असंभव सी बात है. आदिम काल से झगड़ों की सबसे बड़ी वजह जमीन को आधुनिक समाज मे भी न्याय नहीं मिल रहा है. पुलिस और तहसील के संरक्षण में जमीनों पर कब्जे और कमजोरों की हत्या का सिलसिला जारी है.

खेत का टुकड़ा बना हत्या की वजह :

लखनऊ में संपत्ति के लालच में 29 अप्रैल 2020 को एक पुत्र ने  अपने माता-पिता सहित  भाई, भाभी, भतीजे और भतीजी  की धारदार हथियार से काटकर बुरी तरीके से निर्मम हत्या कर दी.

बंथरा थाना क्षेत्र के गोदौली गांव में रहने वाले अमर सिंह अपने छोटे बेटे अरूण सिंह के साथ रहते थे. उनका बड़ा बेटा अपने परिवार सहित अलग रहता था. अमर सिंह ने दोनो बेटो के बीच अपनी सारी सम्पत्ति का बटवारा कर दिया था.

3 साल से जारी था विवाद :

अमर सिंह ने तकरीबन तीन वर्ष पहले गांव के पास स्थित अपनी जमीन के एक टुकड़े को बेचा था.अमर सिंह का बड़ा बेटा अरूण सिंह इस जमीन को बेचने से मिली रकम में हिस्सा मांग रहा था. इसी को लेकर अजय अक्सर अपने माता-पिता से झगड़ा किया करता था.

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29 अप्रैल 2020 दिन बुधवार की शाम तकरीबन पांच बजे अजय सिंह बेटे अंकित सिंह के साथ अपने पुश्तैनी घर पहुंचा. इस दौरान घर पर मौजूद अपनी मां 58 साल की बूढ़ी माँ रामसखी  का गला रेतकर उनकी हत्या कर दी. इसके बाद दोनो खेत पहुंचे गए। खेत मे काम कर रहे 63 साल के बूढे  पिता अमर सिंह पर बांके व फरसे से हमला कर दिया. पिता पर ताबड़ तोड हमला देखकर अमर सिंह का छोटा बेटा अरूण सिंह पत्नी रामदुलारी, बेटा सौरभ व बेटी सारिका को लेकर भागने लगे. अजय सिंह और अंकित ने मिलकर उन्हें दौड़ाकर गांव के ही राम प्रताप सिंह की बाग में पकड़ लिया और बांका व फरसा से हमला कर चारों को मौते घाट उतार दिया.

खाना पूर्ति तक सीमित रही पुलिस

घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और घटना स्थल का मौका-मुआयना कर ही रही थी.  इसी दौरान अजय सिंह अपनी पत्नी रूपा व बेटे अंकित सिंह उर्फ अविनाश के साथ थाने पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया.

पिता को चरित्रहीन बताया

हत्या का आरोपी अजय सिंह ने केवल पिता की हत्या की नही की वह उनको चरित्रहीन भी बता कर बदनाम कर रहा था. अजय ने कहा कि पिता के संबंध छोटी बहू से थे. जिसकी वजह से वह उनको ज्यादा मानते थे. अजय ने बेटे अंकित के साथ पूरी योजना बना कर अपने पिता और भाई के परिवार को खत्म कर दिया जिससे उनका कोई वारिस जिंदा ना रह सके.भाई की अबोध बेटी तक को मार डाला.पुलिस अब अजय को विछिप्त बता कर मामले को हल्का करने की कोशिश कर रही है.

जबरन कब्जा बनाये रखना चाहता था दबंग

अजय जबरन लगभग 10 साल से पूरी जमीन पर कब्जा करके खेती करा रहा था.वह आने पिता और भाई को खेत पर हिस्सा नहीं देना चाहता था. बहुत बार शिकायत करने के बाद इस बार बंथरा पुलिस के सहयोग से मृतक अरुण सिंह ने अपनी आधी संपत्ति पर कब्जा करके गेहूं की फसल की बुवाई  की थी.उसकी कटाई कर रहे थे इतने में अचानक   हत्यारोपी ने पीछे से हमला करके सभी लोगों की हत्या कर दी और मौत की नींद सुला दिया.

इस घटना में बंथरा पुलिस की  पूरी तरीके से लापरवाही उजागर हो गई है.घटना को लेकर कई बार  दोनों पक्ष  थाने आ चुके थे और कई बार विवाद भी हो चुका था लेकिन  पुलिस ने  इस मामले को गंभीरता से  नहीं लिया जिसकी वजह से इतनी बड़ी  घटना घट गई. थाने पहुचे हत्यारे पिता पुत्र को जेल भेज कर पुलिस ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली.

इस तरह की घटनाओं में अदालत भी जल्दी न्याय नहीं देतीं। समाज भी आक्रोशित नहीं होता.इसको एक सामन्य पारिवारिक विवाद मॉन लिया जाता हैं. पूरे परिवार की हत्या का मकसद यह था कि जब जेल से छूट कर वापस दोनो पिता पुत्र आये तो पूरी जमीन पर उनका कब्जा हो सके.हत्यारों ने पूरे परिवार को खत्म कर दिया जिससे कानूनों लड़ाई लड़ कर उनको सजा दिलाने वाला ना रह सके.

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