भोपाल के कोलार इलाके में रहने बाले 72 साला सोमेश्वर (बदला नाम) के पास सब कुछ था. दौलत, इज्जत, अपना बड़ा सा घर और वह सब कुछ जिसकी जरूरत सुकून, सहूलियत और शान से जीने के लिए चाहिए रहती है. पेशे से इंजीनियर रहे सोमेश्वर की पत्नी की मौत कोई एक साल पहले हुई थी तब से वे खुद को काफी तन्हा महसूस करने लगे थे जो कुदरती बात भी थी. रोमांटिक और शौकीन मिजाज के सोमेश्वर ने एक दिन अखवार में इश्तिहार दिया कि उनकी देखरेख के लिए एक स्वस्थ और जवान औरत की जरूरत है जिससे व शादी भी करेंगे.
जल्द ही उनकी यह जरूरत पूरी करता एक फोन आया. फोन करने वाले ने अपना नाम शंकर दुबे बताते हुये कहा कि वह पन्ना जिले के भीतरवार गांव से बोल रहा है उसकी जान पहचान की एक जवान औरत काफी गरीब है जिसके पेट में बचपन में गाय ने सींग मार दिया था, इसलिए उसने शादी नहीं की क्योंकि वह अब मां नहीं बन सकती थी.
सोमेश्वर के लिए तो यह सोने पे सुहागा बाली बात थी क्योंकि इस उम्र में वे न तो औलाद पैदा कर सकते थे और न ही बाल बच्चों बाली बीबी चाहते थे जो उनके लिए झंझट बाली बातें थीं. बात आगे बढ़ी तो उन्होने शंकर को उस औरत यानि लड़की को भोपाल लाने का न्योता दे दिया.
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चट मंगनी पट ब्याह.....
शंकर जब रानी को लेकर उनके घर आया तो सोमेश्वर उसे देख सुध बुध खो बैठे. इसमें उनकी कोई गलती थी भी नहीं भरे पूरे बदन की 35 साला रानी को देखकर कोई भी उसकी मासूमियत और भोलेपन पर पहली नजर में मर मिटता. देखने में भी वह कुंवारी सी ही लग रही थी लिहाजा सोमेश्वर के मन में रानी को देखते ही लड्डू फूटने लगे और उन्होने तुरंत शादी के लिए हां कर दी.