रीता दिल्ली से सटे गाजियाबाद के एक पब्लिक स्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा थी. 9वीं में अच्छे अंक आने पर उस ने पिता से जिद कर के एक नया ऐंड्रौयड मोबाइल फोन ले लिया. मोबाइल में इंटरनैट पैक न लिया जाए आजकल ऐसा नहीं होता, क्योंकि स्मार्टफोन के अधिकांश फीचर्स इंटरनैट बेस ही होते हैं.
रीता ने बहुचर्चित सोशल मैसेंजर व्हाट्सऐप भी अपने फोन में डाउनलोड कर लिया. कुछ दिन बाद ही उसे व्हाट्सऐप के जरिए एक कौल आई. रीता ने कौल अटैंड की, तो दूसरी तरफ कोई युवक था, ‘‘हाय, आप की प्रोफाइल पिक्चर बहुत प्यारी है.’’
रीता सकपका गई, ‘‘आप कौन?’’
‘‘एक ऐसा साथी जो आप को चाहता है और हां, एक बात तो कहना भूल ही गया आप की आवाज भी बहुत प्यारी है.’’
रीता कोई जवाब देती उस से पहले ही कौल डिस्कनैक्ट हो गई. रीता को पता नहीं था कि वह कौन था. उस ने कोई बदतमीजी भी नहीं की थी. उस की बातों से उस के मन में गुदगुदी पैदा हो गई. जिज्ञासावश उस ने कौलिंग नंबर को सेव कर के व्हाट्सऐप पर उस का प्रोफाइल फोटो देखा तो वह एक मौडल की तरह दिखने वाला खूबसूरत युवक था.
नाजुक उम्र के दौर में रीता को यह अच्छा लगा. इस के बाद वह रीता को गुडमौर्निंग मैसेज के साथ खूबसूरत ग्रीटिंग पिक्चर्स भेजने लगा. शुरू में तो रीता ने इस का जवाब नहीं दिया, लेकिन उसे लगा कि जो भी हो वह उस की तारीफ करता है. नए मोबाइल के साथ उसे यह बात भी अच्छी लग रही थी कि अन्य यूथ की तरह वह भी व्हाट्सऐप का इस्तेमाल कर रही है.
रीता ने जब जवाब देने शुरू किए तो वह धीरेधीरे उस में इतना डूब गई कि उस ने एक रैस्टोरैंट में उस से मिलने का प्रोग्राम भी बना लिया. रीता विश्वास कर के उस से मिलने भी चली गई. युवक उसे घुमाने के बहाने कार में बैठा कर दिल्ली ले गया. उस के जाल में फंस कर रीता को एहसास हुआ कि वह किसी गैंग के चंगुल में फंस गई है. टौयलेट जाने के बहाने रीता ड्राइंगरूम से निकली और फ्लैट का दरवाजा खोल कर वहां से भाग निकली और अपने परिजनों को फोन कर सूचित किया.
सूचना मिलने पर परिजन वहां पहुंचे और उसे वहां से वापस ले कर आए. परिजनों को जब पूरा किस्सा पता चला तो उन्हें बेटी को मोबाइल दिलाने के अपने निर्णय पर पछतावा हुआ.
मामला पुलिस तक पहुंचा, लेकिन बदनामी के डर से परिजन खामोश रह गए. पुलिस ने उन से कहा कि अगर कोई उन्हें परेशान करे तो चुप न रहें. पुलिस ने गोपनीय ढंग से गैंग की पड़ताल शुरू कर दी. रीता के परिवार को खुशी थी कि उन की बेटी सुरक्षित बच गई थी, लेकिन सभी ऐसे खुशनसीब हों यह जरूरी नहीं.
रश्मि 7वीं क्लास की छात्रा थी. उस के परिजनों ने उसे ऐंड्रौयड मोबाइल दिला दिया. एक लड़के ने व्हाट्सऐप के जरिए उस से दोस्ती कर ली. उस ने दोस्ती की आड़ में उस की मासूमियत का फायदा उठा कर उस से मुलाकातें शुरू कर दीं. रश्मि नाजुक उम्र के दौर में थी और वह युवक की चाल को समझ नहीं पाई. एक दिन मौका पा कर उस ने रश्मि का शारीरिक शोषण किया. इस के बाद तो उस का लगातार शोषण किया जाने लगा. जब रश्मि के परिजनों को शक हुआ, तब जा कर मामला खुला. उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.
उत्तर प्रदेश के एक गांव की रहने वाली किशोरी को व्हाट्सऐप के जरिए एक युवक ने अपने प्रेमजाल में फंसा लिया. किशोरी जब उस के जाल में फंस गई, तो उस युवक ने उस के साथ दुराचार किया. साथ ही उस ने इस दुराचार की वीडियो फिल्म भी बना ली. इस के बाद उसे ब्लैकमेल किया जाने लगा. युवक ने वीडियो के बल पर किशोरी के संबंध अपने दोस्तों के साथ भी बनवाए. जब मामला खुला तो हर कोई दंग रह गया.
कुछ समय पहले ही व्हाट्सऐप मैसेंजर ने नया फीचर जोड़ते हुए मुफ्त कौलिंग की सुविधा भी प्रदान की. इस में इंटरनैट के जरिए ही बात हो जाती है. लाखों यूजर्स इस का फायदा उठा रहे हैं. खासकर इस का जादू यूथ के तो सिर चढ़ कर बोल रहा है, क्योंकि वहाट्सऐप ही एक ऐसा मैसेंजर है जिस के जरिए मैसेज, औडियो, वीडियो व फोटो फाइलें सैकंडों में एकदूसरे के मोबाइल में पहुंच जाती हैं.
लड़कियों को शिकार बनाने वाला गैंग अनजान नंबरों को पहले अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर सेव करता है, फिर व्हाट्सऐप पर उन का प्रोफाइल देखता है. यदि लड़की या महिला का फोटो होता है, तो उस से व्हाट्सऐप कौलिंग की जाती है. दूसरी तरफ से यदि किसी लड़की या महिला की आवाज आती है तो उस से लच्छेदार बातें करना शुरू कर देते हैं. यदि कोई पुरुष हुआ तो सौरी कह कर कौल कट कर देते हैं.
शिकार यदि उन के जाल में फंसने लगता है तो धीरेधीरे उस से रोमांचक चैटिंग शुरू करते हैं. फिर कौलिंग करते हैं और बातोंबातों में उस का फैमिली प्रोफाइल भी पता करते हैं? इस के बाद उसे अपना टारगेट बनाते हैं. जो लड़कियां इन के जाल में फंस जाती हैं उन का जम कर शारीरिक शोषण किया जाता है. चोरीछिपे उन की वीडियो क्लिपिंग बनाई जाती हैं और फिर ब्लैकमेलिंग का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस तरह ये गैंग लड़कियों को देह व्यापार के धंधे में धकेलने से भी नहीं हिचकते.
अधिकतर ग्रामीण लड़कियां ही उन का शिकार होती हैं. शहरों में वे छात्राएं इन के निशाने पर होती हैं जो अकसर इंटरनैट के जरिए मैसेंजर आदि पर ऐक्टिव रहती हैं. व्हाट्सऐप कौलिंग में गैंग के पकड़े जाने का खतरा न के बराबर रहता है. अभी तक ऐसी कोई सुविधा नहीं है जिस से इंटरनैट कौल को रिकौर्ड किया जा सके या यह पता लगाया जा सके कि वह किस स्थान से की जा रही है. नंबर की जांच की जाए तो वह फर्जी पतों पर आधारित होते हैं. केवल नंबर से यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि कौन किस से क्या बात कर रहा है.
पेरैंट्स रहें सावधान
यदि पेरैंट्स बच्चों को ऐंड्रौयड मोबाइल देते हैं तो उन्हें सावधान रहने की जरूरत है. मोबाइल दे कर यह न सोचें कि लड़कियां सेफ हैं. इंटरनैट के जरिए मोबाइल पर पूरी दुनिया मौजूद है. बेटी कब किस का शिकार बन जाए, कोई नहीं जानता. ऐसे गैंग घात लगा कर सक्रिय रहते हैं जो लड़कियों को फेसबुक और व्हाट्सऐप के जरिए फंसाने का काम करते हैं. उन का मकसद लड़कियों को अपने जाल में उलझा कर उन का इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करना व कभीकभी देह व्यापार के धंधे में उतारना भी होता है, क्योंकि यूथ के सिर पर मोबाइल इंटरनैट का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है, वे इसी का फायदा उठाते हैं.
– पेरैंट्स देखें कि बच्चे मोबाइल की जिद क्यों कर रहे हैं.
– यह ध्यान दें कि क्या बच्चे को वास्तव में मोबाइल की जरूरत है.
– व्हाट्सऐप कितना इस्तेमाल होता है इस पर भी नजर रखें.
– बच्चा यदि छिप कर बात या चैटिंग करता है तो भी ध्यान दें.
– बच्चे को आजादी की सीमा के दायरे में रखें.
– बच्चों से उन के दोस्तों के बारे में भी पूछताछ करें.
– बच्चों को समझाएं कि अनजान लोगों से बात न करें.
– उन्हें समझाएं कि अपना फैमिली प्रोफाइल किसी को न दें.
– बच्चों से पूछें कि कोई उन्हें परेशान तो नहीं कर रहा है.
– यदि कोई परेशान करता है तो उस की सूचना पुलिस को दें.
व्हाट्सऐप कौलिंग : पुलिस के लिए चुनौती
व्हाट्सऐप द्वारा शुरू की गई मुफ्त कौलिंग की सुविधा पुलिस के होश उड़ा रही है. टैक्नोलौजी के दौर में पुलिस व अपराधियों के बीच शहमात का खेल चलता रहता है. इस तकनीक का इस्तेमाल यदि अपराधियों ने किया, तो पुलिस के लिए यह बहुत बड़ी मुसीबत होगा. इस नई तकनीक पर पुलिस किसी तरह अंकुश लगा पाएगी यह भी समझ से परे है. इस को ले कर पुलिस अधिकारी चिंतित हैं. ऐसी कोई तकनीक नहीं निकली तो भारत में इस तरह की सुविधा को सुरक्षा कारणों से बंद भी किया जा सकता है.
व्हाट्सऐप कौलिंग सभी स्मार्टफोन पर उपलब्ध है. इंटरनैट के जरिए यूजर्स एकदूसरे से बात कर सकते हैं. इंटरनैट इस्तेमाल करने वालों का सिर्फ आईपी एड्रैस होता है. ऐसी बातचीत को किसी भी सूरत में नहीं सुना जा सकता. अब यदि कोई अपराध होता है, तो पुलिस सर्विलांस व कौल रिकौर्ड के जरिए ही अपराधों का खुलासा करती है. बड़ेछोटे मामलों में यह तकनीक बेहद कारगर साबित होती है. इतना ही नहीं पुलिस लोकेशन को ट्रेस करने के साथ ही बातचीत भी सुन लेती है. परंतु व्हाट्सऐप में ऐसा कुछ नहीं है. पुलिस सीडीआर से पता नहीं लगा सकती कि अपराधी ने किसकिस को कौल की. सिर्फ यह पता चल सकता है कि नंबर कहां इस्तेमाल हो रहा है और किस के नाम रजिस्टर्ड है? इस से भी बड़ी मुसीबत यह है कि व्हाट्सऐप का सर्वर भारत में नहीं है? न सिर्फ आईपी एड्रैस ट्रेस करना मुश्किल है बल्कि डिटेल भी आसानी से उपलब्ध नहीं होगी.
अमीरजादे भी होते हैं शिकार
व्हाट्सऐप के माध्यम से कुछ गिरोह अमीरजादों को फंसा कर उन्हें ब्लैकमेल करने का भी काम कर रहे हैं. प्रोफाइल पर आकर्षक फोटो लगाया जाता है. मजेदार चैटिंग की जाती है. जब शिकार जाल में फंस जाता है, तो उस से वूसली की जाती है. हरियाणा के यमुना नगर निवासी एक व्यापारी का बेटा राहुल ऐसे ही गिरोह का शिकार हो गया. उसे व्हाट्सऐप के जरिए एक युवती ने अपने प्रेमजाल में फंसा लिया. लड़की ने उसे मिलने के लिए बुलाया और फिर अपने साथियों के साथ उस का अपहरण कर के एक कमरे में बंद कर दिया? राहुल के साथ मारपीट की गई और फिर उस के परिजनों से 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई. मामला पुलिस में पहुंचा तो पुलिस ने राहुल को सकुशल बरामद कर लिया.
पिछले दिनों हरियाणा की रोहतक पुलिस ने ऐसे ही एक गिरोह का भंडाफोड़ किया था जो अमीर लड़कों को युवतियों के जरिए फंसाता था. जनता कालोनी निवासी शिवम ने व्हाट्सऐप पर मैसेज के आने के बाद एक युवती से दोस्ती कर ली. बाद में वह युवती से मिलने होटल भी चला गया. इस के बाद युवती उस से रुपए की मांग करने लगी. शिवम ने रुपए नहीं दिए तो युवती ने केस दर्ज कराया कि शिवम नामक युवक ने उसे झांसा दे कर उस के साथ दुराचार किया. पुलिस ने मामले की जांच की तो चौंक गई, क्योंकि लड़की की चैटिंग और उस के भेजे गए फोटो कुछ दूसरी कहानी बता रहे थे. लड़की समझौते के नाम पर 2 करोड़ रुपए मांगने लगी. इस पर पुलिस ने लड़की व उस के साथियों को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस जांच में सामने आया कि वह 5 लोगों का गिरोह था, जिस में 3 युवक और 2 युवतियां थीं. गिरोह ने फर्जी पते के आधार पर सिमकार्ड ले रखे थे. वे अमीरजादों की सूची बनाते थे और युवतियां व्हाट्सऐप के जरिए उन्हें फंसा कर ब्लैकमेल करती थीं