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मनमोहन गली नंबर-24, बस्ती टोकावली, फिरोजपुर निवासी सुभाष ठाकुर का पुत्र था. मनमोहन की शादी 4 साल पहले बी1-5/6, गली नंबर-3, जनता कालोनी, जालंधर में रहने वाले चानन सिंह राजपूत की बेटी पूजा के साथ हुई थी. दोनों राजपूत परिवारों से थे, दोनों के बीच आपसी प्रेमप्यार था.

पूजा के पिता चानन सिंह आर्मी में थे. उन की 2 ही संतानें थीं, बेटा विनोद और बेटी पूजा. दोनों ही शादीशुदा थे और अपनेअपने परिवारों के साथ खुश थे. पूजा की शादी चानन सिंह ने 4 साल पहले मनमोहन के साथ की थी.

पूजा बीए पास और अच्छे संस्कारों वाली समझदार लड़की थी. ससुराल आ कर उस ने पति ही नहीं, बल्कि सब का मन मोह लिया था. मनमोहन ने एमबीए कर रखा था. कोई अच्छी सरकारी नौकरी न मिलने के कारण वह हिंदुस्तान हाइड्रोलिक कंपनी में नौकरी कर रहा था.

मनमोहन की मां के निधन के बाद वह और उस के पिता जब काम पर चले जाते थे, तो पूजा दिन भर घर में अकेली रहती थी. घर का मुख्यद्वार पूरे दिन बंद रहता था, क्योंकि उन के यहां किसी का आनाजाना नहीं था.

शाम को मनमोहन या उस के पिता के घर लौटने पर ही मुख्यद्वार खोला जाता था. लेकिन उस दिन मनमोहन घर लौटा तो ऐसा नहीं हुआ. मनमोहन के 2-3 बार डोरबैल बजाने के बाद भीतर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उस ने दरवाजा थपथपाया तो दरवाजा हाथ रखते ही खुल गया.

यह देख कर मनमोहन को और अधिक आश्चर्य हुआ. असमंजस की स्थिति में  अपनी पत्नी पूजा को आवाज देते हुए उस ने घर के भीतर जा कर देखा तो कमरे का दृश्य देख उस के होश उड़ गए. भीतर पूरा सामान बिखरा पड़ा था. देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कमरे में 2 लोगों का आपस में जबरदस्त संघर्ष हुआ हो.

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