भागदौड़ भरी जिंदगी में सड़कों पर बढ़ती वाहनों की भीड़, उन से होने वाली दुर्घटनाएं और आए दिन होने वाले अपराधों को देखते हुए अगर घर से निकला कोई आदमी वापस न आए तो घर वाले परेशान हो उठते हैं. नेकीराम का परिवार भी बेटे को ले कर कुछ इसी तरह परेशान था. अध्यापक नेकीराम का परिवार उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के मोहल्ला आनंद विहार में रहता था. उन का एकलौता बेटा अमन परिवार से अलग रहता था. उस के परिवार में पत्नी अनुराधा के अलावा 5 साल का एक बेटा कृष और 4 साल की बेटी अनन्या थी.

नेकीराम को बेटे के लापता होने का उस समय पता चला, जब 28 दिसंबर, 2016 की रात करीब साढ़े 9 बजे उन की बहू अनुराधा का फोन आया. उस ने जो कुछ बताया था, उस के अनुसार रात में उस की तबीयत खराब हो गई तो उस ने अमन से दवा लाने को कहा. वह मोटरसाइकिल से दवा लेने गया तो लौट कर नहीं आया.

अनुराधा ने अमन को फोन किया तो उस का मोबाइल स्विच औफ बता रहा था. इस से वह परेशान हो उठी थी और उस ने सभी को इस बारे में बता दिया था. जब अमन का कुछ पता नहीं चला तो नेकीराम और उन के भतीजे रात में ही स्थानीय थाना सदर बाजार पहुंचे और पुलिस को सूचना दे दी थी.

पुलिस ने उन्हें सुबह तक इंतजार करने को कहा था. पुलिस का अनुमान था कि अमन कहीं अपने यारदोस्तों के पास न चला गया हो. पुलिस ने भले ही सुबह तक इंतजार करने को कहा था, लेकिन घर वाले अपने स्तर से उस की तलाश करते रहे.

इसी का नतीजा था कि आधी रात को शहर के रेलवे स्टेशन परिसर में रेलिंग के पास उस की मोटरसाइकिल खड़ी मिल गई थी. लेकिन अमन का कुछ अतापता नहीं था. घर वालों की रात चिंता में बीती. सुबह शहर से लगे गांव फतेहपुर वालों ने नजर की पुलिया के नीचे किसी युवक का शव पड़ा देखा तो इस की सूचना थाना पुलिस को दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी मुनेंद्र सिंह मौके पर पहुंच गए. सूचना पा कर सीओ अब्दुल कादिर भी घटनास्थल पर आ गए. मृतक की गरदन पर चोट के निशान थे. इस से अंदाजा लगाया गया कि उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. मौके पर मौजूद लोग उस की शिनाख्त नहीं कर सके. शव लापता युवक अमन का हो सकता है, यह सोच कर पुलिस ने उस के घर वालों को वहां बुलवा लिया.

घर वालों ने शव की पहचान अमन की लाश के रूप में कर दी. मामला हत्या का था, इसलिए पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. साफ था, अमन की हत्या सुनियोजित तरीके से की गई थी, क्योंकि उस की मोटरसाइकिल रेलवे स्टेशन पर खड़ी मिली थी. घटनास्थल और रेलवे स्टेशन के बीच 4 किलोमीटर का फासला था. अंदाजा लगाया गया कि हत्यारे हत्या करने के बाद रेलवे स्टेशन पर पहुंचे होंगे और मोटरसाइकिल खड़ी कर के फरार हो गए होंगे. पुलिस ने अमन के ताऊ के बेटे मुकेश कुमार की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ अपराध संख्या 549/2016 पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.

पुलिस ने अमन के घर वालों से पूछताछ की तो उन्होंने किसी से भी अपनी रंजिश होने से इनकार कर दिया. उस के घर कोहराम मचा था. उस की पत्नी अनुराधा का रोरो कर बुरा हाल था. वह बदहवाश सी हो चुकी थी. वह इतनी दुखी थी कि बारबार बेहोश हो पा रही थी. पुलिस के सामने बड़ा सवाल यह था कि अमन की हत्या क्यों और किस ने की? इस से भी बड़ा सवाल यह था कि हत्यारों को उस के घर से निकलने की जानकारी किस तरह हुई?

एसएसपी उमेश कुमार श्रीवास्तव ने हत्याकांड का जल्द खुलासा करने का आदेश दिया. एसपी सिटी संजय सिंह ने इस मामले की जांच में अभिसूचना विंग के इंचार्ज पवन शर्मा को भी लगा दिया. उन्हें लगा कि हत्यारों ने अमन से तब संपर्क किया होगा, जब वह घर से निकला होगा. पुलिस ने अमन, उस की पत्नी अनुराधा और अन्य घर वालों के मोबाइल नंबर ले कर सभी नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. एसपी सिटी के निर्देशन में हत्याकांड के खुलासे के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया गया, जिस में क्राइम ब्रांच के अलावा थानाप्रभारी मुनेंद्र सिंह, एसआई मनीष बिष्ट, जर्रार हुसैन, हैडकांस्टेबल विकास शर्मा, कांस्टेबल नेत्रपाल, अरुण राणा और मोहित को शामिल किया गया था.

सभी नंबरों की काल डिटेल्स की जांच की गई तो पता चला कि अनुराधा की एक नंबर पर बहुत ज्यादा बातें होती थीं. घटना वाली रात भी उस की उस नंबर पर बातें हुई थीं. उस नंबर के बारे में पता किया गया तो वह नंबर अंकित का निकला. उस के मोबाइल की लोकेशन पता की गई तो अमन के घर और घटनास्थल की पाई गई.

पुलिस को मामला प्रेम संबंधों का लगा और साथ ही अमन की पत्नी अनुराधा संदेह के दायरे में आ गई. 31 दिसंबर को अनुराधा को हिरासत में ले कर पूछताछ की गई तो जो सच्चाई समने आई, जान कर पुलिस हैरान रह गई, क्योंकि अमन की असली दुश्मन कोई और नहीं, उस की अपनी पत्नी ही थी. प्रेमी से अवैधसंबंधों को बनाए रखने के लिए प्रेमी के साथ मिल कर उसी ने पति की हत्या की योजना बनाई थी. पुलिस ने अनुराधा के प्रेमी अंकित और उस के दोस्त टीनू को गिरफ्तार कर लिया. तीनों से विस्तार से पूछताछ की गई तो उन के चरित्र और गुनाह की सारी परतें खुल गईं, जो इस प्रकार थीं—

दरअसल, अनुराधा ने जैसे ही जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तभी उस के प्रेमसंबंध कस्बा नागल के रहने वाले विजयपाल के बेटे अंकित से बन गए थे. जवानी के जोश में दोनों ने मर्यादा की दीवार भी गिराई और हमेशा साथ रहने का फैसला भी किया. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. अनुराधा के घर वालों ने उस का विवाह अमन के साथ कर दिया. इस का न तो अनुराधा विरोध कर सकी थी और न ही अंकित. यह बात अलग थी कि अनुराधा अंकित को भूल नहीं सकी. विवाह के कुछ दिनों बाद ही अनुराधा ने अंकित से संपर्क कर लिया था. अंकित इस बात से खुश था कि प्रेमिका अभी भी उसे प्यार करती थी.

दोनों के संबंध गुपचुप चलते रहे. यही नहीं, अंकित अनुराधा से मिलने उस के घर भी आने लगा था. अमन चूंकि ट्रक चलाता था, इसलिए अनुराधा को अपने संबंधों को जारी रखने में परेशानी नहीं हो रही थी. अमन कभी शहर में होता था तो कभी शहर से बाहर. अनुराधा 2 बच्चों की मां बन चुकी थी, इस के बाद भी उस के अंकित से संबंध बने रहे. शायद अंकित उस की धड़कनों का हिस्सा था. शादी के 4 साल बाद तक अमन अंधेरे में रहा. पति की आड़ में अनुराधा अपने प्यार को गुलजार रखना चाहती थी. इस तरह के संबंध कभी छिपे नहीं रहते. अनुराधा अकसर फोन पर बिजी रहती थी, जिस से अमन को शक तो होता था, लेकिन वह कोई न कोई बहाना बना कर उसे बेवकूफ बना देती थी.

किसी के मन में अगर शक घर कर जाए तो उस का निकलना आसान नहीं होता. अमन भी इस का शिकार हो गया था. आसपास के लोगों ने भी उसे बता दिया था कि उस की गैरमौजूदगी में कोई युवक अनुराधा से मिलने आता है. पत्नी की करतूतों के बारे में पता चला तो उस ने उसे न सिर्फ जम कर फटकारा, बल्कि उस की पिटाई भी कर दी. करीब 4 महीने पहले एक दिन अमन ट्रक ले कर दूर जाने की बात कह कर घर से निकला जरूर, लेकिन दोपहर में ही वापस आ गया. उस समय अनुराधा अंकित की बांहों में समाई थी. अमन को अचानक सामने पा कर दोनों के होश उड़ गए. अंकित चला गया और अनुराधा ने गलती मान ली. इस के बावजूद उस ने अपनी आदतें नहीं बदलीं.

कुछ दिनों बाद वह फिर अंकित से मिलने लगी. अमन को इस की जानकारी हो गई. इस के बाद अंकित को ले कर घर में आए दिन विवाद होने लगा. एक दिन हद तब हो गई, जब अनुराधा बगावत पर उतर आई. उस ने साफ कर दिया कि वह अंकित से संबंध नहीं तोड़ सकती. पत्नी की बेहयाई से अमन गुस्से में आ गया और उस ने उस की जम कर पिटाई कर दी. अपने साथ होने वाली मारपीट से तंग अनुराधा ने प्रेमी अंकित से कहा, ‘‘मैं तुम्हारे प्यार की खातिर कब तक जुल्म सहती रहूंगी. अगर तुम मेरे लिए कुछ नहीं कर सकते तो मुझे हमेशा के लिए छोड़ क्यों नहीं देते?’’

‘‘ऐसा क्या हुआ?’’

‘‘आज फिर उस ने मेरे साथ मारपीट की. क्या मेरी किस्मत में इसी तरह पिटना ही लिखा है? तुम कुछ करो वरना मैं जान दे दूंगी.’’

‘‘क्या चाहती हो तुम?’’

‘‘हमेशा के लिए तुम्हारी होना चाहती हूं.’’

‘‘चाहता तो मैं भी यही हूं.’’

‘‘सिर्फ चाहने से नहीं होगा, इस के लिए कुछ करना होगा. क्योंकि अमन के रहते यह कभी नहीं हो सकेगा. तुम उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दो, वरना मुझे भूल जाओ.’’ अनुराधा ने यह बात निर्णायक अंदाज में कही तो गलत संबंधों के जाल में उलझा अंकित सोचने को मजबूर हो गया. उस ने उस से थोड़ा इंतजार करने को कहा.

अंकित का एक आपराधिक प्रवृत्ति का दोस्त था टीनू, जो नजदीक के गांव पंडौली निवासी छोटेलाल का बेटा था. अंकित ने उसे सारी बात बताई और दोस्ती का वास्ता दे कर उस से साथ देने को कहा तो वह तैयार हो गया. इस के बाद दोनों अनुराधा से मिलने उस के घर आए तो तीनों ने मिल कर अमन को रास्ते से हटाने की योजना बना डाली. यह दिसंबर, 2016 के दूसरे सप्ताह की बात थी.

28 दिसंबर की शाम अनुराधा ने अंकित को फोन किया, ‘‘आज तुम आ कर अपना काम कर सकते हो.’’

‘‘ठीक है, मैं समय पर पहुंच जाऊंगा.’’ कह कर अंकित ने फोन काट दिया. इस के बाद वह अपने दोस्त टीनू को ले कर तकरीबन 9 बजे अनुराधा के घर पहुंचा. अनुराधा ने वादे की मुताबिक घर का दरवाजा खुला रखा था. अमन उस वक्त अपने कमरे में था और सोने की तैयारी कर रहा था. तीनों कमरे में दाखिल हुए तो अंकित को वहां देख कर अमन का खून खौल उठा. वह चिल्लाया, ‘‘तुम यहां क्यों आए हो?’’

‘‘अनुराधा से मिलने और तुम्हें जिंदगी से छुटकारा दिलाने.’’ अंकित ने घूरते हुए कहा.

‘‘तेरी इतनी हिम्मत?’’ अमन गुस्से में खड़ा हो गया. वह कुछ कर पाता, उस के पहले ही तीनों उस पर बाज की तरह झपट पड़े. अमन जमीन पर गिर पड़ा. अंकित उस के सीने पर सवार हो गया तो अनुराधा ने उस के हाथों को पकड़ लिया. टीनू ने पैर पकड़ लिए. अमन ने बचाव के लिए संघर्ष करते हुए चिल्लाने की कोशिश की तो अनुराधा ने उस के मुंह को तकिए से दबा दिया, जिस से उस की आवाज दब कर रह गई, साथ ही दम भी घुटने लगा.

तभी अंकित ने वहां पड़ा डंडा उठा कर उस के गले पर रख कर पूरी ताकत से दबा दिया. अमन छटपटाया, लेकिन उस पर किसी को दया नहीं आई. कुछ देर में अमन की सांसों की डोर टूट गई. अपने ही सिंदूर को मिटाने में अनुराधा को जरा भी हिचक नहीं हुई. हत्या के बाद उन्होंने शव ठिकाने लगाने की सोची. अंकित और टीनू ने अमन की ही मोटरसाइकिल ली और कंबल ओढ़ा कर लाश को मोटरसाइकिल से ले जा कर पुलिया के नीचे डाल दिया. इस के बाद मोटरसाइकिल स्टेशन पर लावारिस खड़ी कर के दोनों ट्रेन से नागल तक और फिर वहां से अपने अपने घर चले गए. इस के बाद अनुराधा ने अमन के लापता होने की बात उस के घर वालों को बताई और लाश मिलने पर खूब नौटंकी भी की, लेकिन आखिर उस की पोल खुल ही गई. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त डंडा भी बरामद कर लिया था.

एसपी संजय सिंह ने प्रेसवार्ता कर के हत्याकांड का खुलासा किया. इस के बाद सभी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

अनुराधा ने अपने बहकते कदमों को संभाल कर घरगृहस्थी पर ध्यान दिया होता तो ऐसी नौबत कभी न आती. उस की करतूत से मासूम बच्चे भी मां बाप के प्यार से महरूम हो गए. कथा लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हो सकी थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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