महंगाई, मुद्रास्फिति और सुख-सुविधा से भरपूर जीवनशैली के लिए आजकल पति-पत्नी दोनों को नौकरी करना पड़ता है. इस फेर में बच्चे माता-पिता की देख-रेख से दूर हो जाते हैं. बच्चों को वे या तो परिवार के किसी सदस्य के जिम्मे छोड़ कर काम पर जाते हैं या फिर आया को सौंप जाते हैं. आया या गवर्नेस द्वारा बच्चों को शारीरिक व मानसिक यातना देने के जाने कितने वीडियो वायरल हो चुके हैं. ऐसे बच्चों का यौन शोषण भी आम ही है. बच्चों के साथ आया, नौकर, वाचमैन से लेकर घर और परिवार का कोई भी सदस्य यह कर सकता है.

शाम या रात को थके-हार कर जब माता-पिता घर लौटते हैं, तब उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उनकी अनुपस्थिति में उनके बच्चों पर क्या-कुछ गुजरा है. कोलकाता के नेशनल इंस्टीट्यूट औफ विहेवियर साइंस की श्रीलेखा विश्वास का कहना है कि बच्चों के स्वभाव व उनके आचरण-व्यवहार के बारे में माता-पिता से ज्यादा बेहतर और कोई नहीं जान सकता है. जो माता-पिता नौकरीशुदा हैं और अपने बच्चों को किसी और के भरोसे छोड़ कर काम पर जाते हैं, उन्हें अपने बच्चों के स्वभाव व आचरण में अचानक देखे जाने जानेवाले छोटे-छोटे बदलाव पर ध्यान देना चाहिए.

अगर किसी बच्चे के साथ कुछ बुरा होता है तो अव्वल तो कुछ समझ नहीं पाता है कि क्या कुछ हो रहा है. कभी-कभी बच्चा कंफ्यूज हो जाता है. हर उम्र के बच्चों का उनके पारिवारिक माहौल, उनकी परवरिश के मुताबिक अलग-अलग प्रभाव हो सकता है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि वे स्पर्श को समझ नहीं पाते हैं. लेकिन उनके साथ जो कुछ भी हुआ, उसका उनके जेहन पर बड़ा गहरा असर होता है.

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