मैं 8वीं की कक्षा ले रही थी. पता नहीं कैसे, एक गिलहरी कक्षा में घुस आई और बच्चों की डैस्क और कुरसियों के बीच मंडराने लगी. गिलहरी जिधर भी जाती, बच्चे शोर मचाते और अपनी कुरसियों के ऊपर खड़े हो जाते. मैं भरसक उन्हें चुप रहने और गिलहरी को रास्ता देने के लिए निर्देश दे रही थी. अचानक कक्षा में शांति छा गई. तभी मुझे लगा कि मेरे पैर के पास कुछ हलचल हो रही है. देखा तो गिलहरी डर कर मेरी साड़ी के फौल पर चिपक गई थी. फिर तो मैं इतनी जोर से कूदी व चिल्लाई कि सारे बच्चे हंसी के मारे लोटपोट हो गए.

मनोरमा दयाल, नोएडा (उ.प्र.)

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मैं अपनी बहन अनीता के साथ अपनी सहेली रेखा के यहां गई थी. दोनों की ही घर पर गिफ्ट आइटम की दुकानें हैं. जब मैं अपनी बहन के साथ सहेली के घर पहुंची तो उस ने खूब अच्छे से हमारा स्वागत किया. उस ने अपनी कामवाली को आवाज लगा कर कहा, ‘‘अनीता, 2 गिलास पानी ला दे.’’ वह पानी दे गई. कुछ देर बाद, ‘‘अनीता, चाय बना दे.’’

मेरी बहन ने मेरी तरफ देखा तो रेखा बोली, ‘‘भाभीजी, बुरा मत मानना, मेरी कामवाली का नाम भी अनीता है. मैं उसे बुला रही हूं.’’ कुछ दिनों बाद वह सहेली मुझ से बोली, ‘‘चलो, आप की बहन की दुकान देख कर आते हैं.’’ मैं ने कहा, ‘चलो’, मैं और उस की बेटी उन के यहां पहुंचे. उन्होंने स्वागत किया. अपनी कामवाली को आवाज लगाई, ‘‘रेखा, जरा पानी तो दे जा. अरे शिखा, जरा चाय बना लेना.’’ सहेली ने मेरी ओर देखा तो बहन बोली, ‘‘भाभीजी, बुरा मत मानना, हमारी कामवाली मांबेटी का नाम रेखा और शिखा है. उस बेचारी को बहुत झेंप लगी पर मैं ने मुसकरा कर कहा, ‘‘यह भी खूब रही’’ कि दोनों के नाम की कामवाली एकदूसरे के घर काम कर रही हैं.’’

रश्मि अग्रवाल, बरेली (उ.प्र.)

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एक शनिवार की शाम हम अपने दोनों बच्चों के साथ बाजार गए और कार पार्क कर हम लोग खरीदारी करने चले गए. लौटने पर देखा तो कार के एकदम पीछे एक आटोरिकशा खड़ा था. पर आटोरिकशे का चालक वहां मौजूद नहीं था. तो मेरे पति ने खुद ही आटो को थोड़ा आगे सरकाने की कोशिश की. जैसे ही पति आटो को आगे हटाने लगे, 4-5 छात्रों का ग्रुप आया और पति को रिकशावाला समझ, मराठी में पूछा, ‘डीजीपी नगर चलणार का?’ (डीजीपी नगर चलोगे क्या). उन के इस व्यवहार से मुझे बहुत बुरा लगा, परंतु सरल हृदय पति मुसकरा दिए. माजरा समझ कर छात्रों ने माफी मांगी.

निर्मला राजेंद्र मिश्रा, नासिक (महा.)

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