मेरी एक सहेली है जो औनलाइन खरीदारी की बहुत शौकीन है. एक बार हम सब किसी काम से लखनऊ गए. काम पूरा होने के बाद हम लोग चिकनकारी वाले कपड़े खरीदने बाजार जाना चाहते थे.

पुराने बाजारों की गलियों में बनी दुकानों में जा कर दोस्तों संग घूमते हुए, खरीदारी में जो मजा है, वह औनलाइन शौपिंग में कहां. यही समझ कर हम अपनी डिजिटल सहेली को बाजार ले गए. वहां जैसे ही एक दुकान में पहुंचे तो मेरी सहेली दुकानदार से बोली, ‘‘भैया, औनलाइन कुर्तियां दिखाना.’’ उस की बात सुन कर दुकानदार तो नहीं हंसा, पर हम सब लोग अपनी हंसी रोक नहीं पाए. 

नीतू पाठक

*

मई के पहले हफ्ते में एक शादी के सिलसिले में मैं पटना गया था. मेरा एक करीबी दोस्त भी साथ गया था. गरमी चरम पर थी. मेरी साली के ननद की शादी थी. रात 8 बजे बरात दरवाजे लगी. रस्में होतेहोते रात के 12 बज चुके थे. मैं ने पता किया कि कहीं आराम करने की जगह मिलेगी तो पता चला कि छत खुली है. वहां बिस्तरतकिया भी है, आराम से सो सकते हैं.

मैं छत पर चला गया. वहां खुले आसमान के नीचे बिस्तर लगा था और गरमी भी न के बराबर थी. मैं बिस्तर पर लेट गया था पर नींद नहीं आ रही थी. तभी मुझे अपने दोस्त की याद आई. मैं ने उसे एक एसएमएस किया, ‘मैं छत पर अकेले हूं. बिस्तर भी लगा है. यहीं आ जाओ. रात मजे में कट जाएगी.’

थोड़ी देर में मेरी साली घबराई हुई छत पर मेरी पत्नी के साथ आई और बोली, ‘‘यह क्या मजाक है जीजाजी? यह तो अच्छा हुआ कि एसएमएस सिर्फ मैं ने पढ़ा, फिर दीदी को दिखाया. दीदी ने कहा, ‘‘चल, देखते हैं माजरा क्या है?’’

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