कालेज की छुट्टियां समाप्त होने पर मैं दीदी के साथ गोरखपुर से लखनऊ आ रही थी. होस्टल की 2 लड़कियां और मिल गईं. सभी लोग मिल कर बातें करने लगे.
सामने बैठा व्यक्ति मुझे कुछ अजीब लगा क्योंकि वह हम लोगों की बातों को बहुत ध्यान से सुन रहा था. जब सोने का समय हुआ और अन्य लड़कियां चली गईं तब दीदी मुझे सोने को बोल कर सो गईं.
सामने की सीट पर लेटा एक अजनबी अपनी अटैची पर सिर और सीट पर पैर रख कर सो गया. मैं पहले से डरी थी, इसलिए आंखें बंद कर लेटी रही. अचानक मुझे महसूस हुआ कि उस व्यक्ति का हाथ दीदी की तरफ बढ़ रहा है. मैं ने घबरा कर दीदी को जगा दिया.
हड़बड़ा कर दीदी जगीं, ‘‘क्या हुआ?’’ मैं उस व्यक्ति के कारण कुछ बता नहीं पाई. दीदी फिर सो गईं. मैं ने लाइट जला दी तो साइड की सीट पर सोया युवक उठ कर बैठ गया और मुझ से बोला, ‘‘लाइट बंद कर दूं क्योंकि मुझे रोशनी में नींद नहीं आती.’’
‘‘नहीं.’’ मैं जोर से बोली. मैं पत्रिका उलटतीपलटती पढ़ती रही. डर के कारण मैं सोना नहीं चाहती थी. वह लड़का चुपचाप बैठा जागता रहा जबकि पूरा डब्बा नींद के आगोश में समाया हुआ था. पहले तो मुझे डर लगा पर ऐसे समय में उस लड़के के जागने की वजह से मुझे ढाढ़स बंधा कि कोई तो है जो मेरा साथ निभा रहा है.
मैं ने मन ही मन उस अनजान युवक का शुक्रिया अदा किया जिस ने पूरी रात जाग कर मेरे डर से निजात पाने में मेरी अनजानी सहायता की. दो अनजान मुसाफिरों के साथ का रोमांचकारी सफर, जिस में एक मुसाफिर मेरे लिए डर का कारण था तो दूसरा डर दूर भगाने का स्रोत बना.
रेणुका श्रीवास्तव, लखनऊ (उ.प्र.)
 
मैं सपरिवार अंबाला से जम्मू जा रही थी. हमारे सामने वाली बर्थ में जो सहयात्री थे, उन का अलगअलग बर्थ में रिजर्वेशन होने के कारण वे एक ही जगह बैठे थे. मुझे बहुत असुविधा हो रही थी और उन लोगों पर गुस्सा आ रहा था.
एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो मैं बच्चों के खाने के लिए सामान निकालने लगी तभी झाड़ू लगाने वाली 16-17 साल की एक लड़की डब्बे में आई और किनारे की तरफ रखा मेरा पर्स ले कर भागने लगी. मैं बच्चों को संभालते हुए पीछे भागी तब तक वह डब्बे के दरवाजे तक पहुंच गई.
हमारे सहयात्री व उन के साथ के लोग दरवाजे के पास खड़े थे. उन्होंने लड़की को पकड़ लिया और उस से पर्स छीन कर मुझे दे दिया. पर्स में यात्रा से संबंधित सामान, टिकट तथा रुपए थे. मुझे अपने ऊपर शर्म महसूस हो रही थी कि मेरे रूखे व्यवहार के बाद भी उन लोगों ने मेरी मदद की.
शालिनी बाजपेयी, चंडीगढ़ (पंजाब) द्  

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