मैं संयुक्त परिवार में रहने वाली 2 बेटों की 32 वर्षीय मां हूं. छोटी उम्र में मेरी शादी हो गई थी. मैं आजाद खयालों की हूं, पुरुष दोस्तों का साथ मुझे बेहद पसंद आता है. पति व परिवार वाले पुराने विचारों के हैं, इसलिए मुझ पर गलत इलजाम लगाते हैं, मुझे चरित्रहीन कहते हैं, जिस से मेरे बच्चे भी मुझे गलत समझते हैं. पति से कहती हूं कि या तो अलग घर लें या तलाक दें पर वे सुनते ही नहीं. मेरा इस घर में दम घुटता है. सलाह दीजिए, क्या करूं?

आप का आजाद खयाल होना आप की जिंदगी में जहर घोल रहा है. आप समझ लीजिए कि औरत की एक मर्यादा होती है, पति, बच्चों व ससुराल वालों से निभा कर चलना होता है. आप के स्वभाव का खिलंदड़ापन परिवार में अशांति घोल रहा है. बच्चे भी आप से विमुख हो रहे हैं. आप के पति बहुत ही बैलेंस्ड हैं जो आप की इस गलत हरकत को झेल रहे हैं, उस पर भी आप या तो अलग रहना चाहती हैं या तलाक चाहती हैं जो आप के पति नहीं चाहते. आजादी को हवा देने के लिए ही आप अलग रहना चाहती हैं. संयुक्त परिवार के बंधन आप को रास नहीं आ रहे.

क्या आप ने बच्चों के बारे में सोचा है कि वे आप से क्या सबक लेंगे? स्वभाव आप को ही बदलना होगा. पारिवारिक मर्यादा व जिम्मेदारियों को समझते हुए पति व बच्चों की ओर ज्यादा ध्यान देना होगा. कमोबेश हर परिवार में महिला घर को संवारती है न कि घर से निकल कर दोस्तों के साथ समय बिताती है. पति से तलाक लेने की सोच रही हैं, जरा सोचिए कि तलाक के बाद स्त्री की दशा क्या होती है. उस समय तथाकथित दोस्त भी आप का साथ न देंगे. घर वालों से निभा कर चलेंगी और परिवार का अंग बन कर रहेंगी तभी ठीक रहेगा.

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