सरित प्रवाह, जून (द्वितीय) 2014

‘नए प्रधानमंत्री के लिए चुनौतियां’ शीर्षक से प्रकाशित आप की टिप्पणी पढ़ी. नई सरकार को यह बात तो समझ ही लेनी चाहिए कि सभी कार्य धीरेधीरे, ढंग से सिलसिलेवार ही होंगे.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार बनते ही सारे विपक्षी दलों ने उन्हें राजकाज समझने तक का वक्त नहीं दिया था और वादे पूरे करने के दबाव शुरू हो गए थे. केंद्र में बैठे मंत्रियों को भी यह बात समझ लेनी होगी कि वे अब सिर्फ दिल्ली या महानगरों के लिए ही नहीं हैं, बल्कि लक्षद्वीप, त्रिपुरा या अंडमान के भी उतने ही संरक्षक हैं. उन्हें दूरदराज प्रदेशों के भी औचक दौरे करने चाहिए न कि पहले से बता कर या कार्यक्रम बना कर वहां जाया जाए.

मुकेश जैन ‘पारस’, बंगाली मार्केट (न.दि.)

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