गुजरात चुनाव में हर कोई और खरबों का कारोबार करने वाले सटोरिए भी, अभी हिचकते हुए ही सही, इस बात पर सहमत हो रहे हैं कि वहां भाजपा की हालत खस्ता है और वक्त गुजरते भावों में उतारचढ़ाव आएगा. भाजपा की खस्ता हालत का फायदा कांग्रेस को ही मिलेगा, यह भी पूरे आत्मविश्वास से कहने में लोग हिचक रहे हैं तो इस की न दिखने वाली एक वजह अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को जीत दिलाने वाली दुनिया की नामी लीडिंग कंपनी कैंब्रिज एनालिटिक्स से कांग्रेस का खटाई में पड़ा करार भी है.

यह कंपनी चुनावी रणनीति बनाने और आक्रामक प्रचार अभियान का खाका खींचने के लिए मशहूर है.

कांग्रेस से 3 दौर तक एनालिटिक्स की मीटिंगें हुईं पर फीस पर आ कर बात अटक गई. 3 मीटिंगों में सार निकला कि अगर पूरा विपक्ष एकजुट हो कर लड़े तो ही भाजपा को पटखनी दी जा सकती है. अध्यक्ष बनने जा रहे राहुल गांधी इतने पैसों का तो इंतजाम एक दफा कर सकते हैं पर पूरे विपक्ष को एकजुट कर पाने की क्षमता उन में नहीं है.

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