एक बार मुझे किसी आवश्यक कार्य से
 1 दिन के लिए मायके (देवास) जाना पड़ा. 6 बजे शाम को मैं वहां पहुंची. दूसरे दिन 1 बजे बस से वापस (भोपाल) आना था.
बरसात के दिन थे. जिस दिन मैं देवास पहुंची उस दिन घनघोर बरसात हुई. उस बरसते पानी में पापा बाजार जाने की जिद करने लगे. रात का समय था. पापा को आंखों से कम दिखाई देने लगा है. इस कारण हम सभी ने उन्हें बाजार जाने से मना किया. लेकिन हाथ में छाता लिए, एक हाथ में छड़ी पकड़े, झोला लटकाए वे घर से निकल पड़े. थोड़ी देर में वे घर वापस आए तो पूरी तरह भीग चुके थे. ठंड के कारण पूरा शरीर कांप रहा था. मां तो पापा पर बुरी तरह झल्ला उठीं. परंतु पापा ने बाजार जाने का कारण नहीं बतलाया.
उस दिन रातभर बारिश होती रही. मैं ने देखा, पापा उस रात यह सोच कर सो नहीं पाए कि उन की बिटिया इस बरसते पानी में कैसे वापस जाएगी. मैं सुबह जल्दी उठ कर भोपाल जाने की तैयारी करने लगी. जल्दी खाना खा कर मां से बतियाने लगी. तभी पापा कमरे में आए और मां से बोले, ‘‘इस के लिए पकौड़ी बना दो.’’ फिर मेरे सिर पर प्यारभरा हाथ फेर कर बोले, ‘‘इसे तुम्हारे हाथ की पकौड़ी पसंद हैं न. कल रात बरसते पानी में बेसन लेने ही तो गया था. फिर न जाने कब इस का आना होगा.’’
पापा की उम्र 76 वर्ष है. इस उम्र में भी उन्हें मेरी पसंद का कितना खयाल है. यह देख मेरी आंखें नम हो गईं. इतने प्यारे हैं मेरे पापा.
भावना भट्ट, भोपाल (म.प्र.)
 
मेरी एमएससी की फाइनल परीक्षा थी. पापा का ट्रांसफर हो गया था. वे पंजाब चले गए थे. मैं 1 साल के लिए होस्टल में रह रही थी. पूरा साल खूब मेहनत की थी और आशा थी कि उस का फल भी बढि़या ही मिलेगा.
पहले 2 पेपर बढि़या हो गए लेकिन तीसरा पेपर अच्छा नहीं हुआ.  2 पेपर बाकी थे. बहुत घबराहट हो रही थी. मन हुआ कि परीक्षा छोड़ दूं. मैं ने अपने पापा को पत्र लिख कर बताया कि एक पेपर अच्छा नहीं हुआ है और मैं निराश हो कर परीक्षा छोड़ना चाहती हूं.
पत्र मिलते ही पापा ने मुझे फोन पर समझाया कि घबराते नहीं हैं, सालभर की मेहनत है. साथ ही, उन्होंने बहुत लंबा सा पत्र भी लिख कर भेजा. पत्र में समझाया कि जीवन में हारजीत, हानिलाभ तो होते रहते हैं. निराश होने से किसी समस्या का समाधान नहीं निकलता और कहा कि परीक्षा छोड़ कर नहीं आना है.
मैं ने परीक्षा दी और अच्छे नंबरों में पास हो गई व शीघ्र ही अच्छी नौकरी भी लग गई. आज पापा तो नहीं हैं पर उन के द्वारा दी गई सीख मुझे हर काम में सफलता दिलाती है.
कमलेश नागरथ, गे्रटर कैलास, (न.दि.) 
 

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