न चाहते हुए भी ससुराल वालों की जिद के कारण मुझे अपने 5 माह के बेटे को ले कर फिल्म देखने के लिए जाना पड़ा. मैं ने बच्चे का जरूरी सामान, अपना पर्स व मोबाइल आदि एक बैग में रख कर अपनी छोटी ननद को पकड़ा दिया. फिल्म के बीच में जब मैं ने उस से बच्चे की दूध की बोतल लेने के लिए बैग मांगा तो वह घबरा कर बोली कि बैग तो वह आटो से उतारना ही भूल गई. बच्चा भूख से रोए जा रहा था. मैं हौल से बाहर आ कर बच्चे को चुप कराने की कोशिश करने लगी. मगर बच्चा भूख से रोए जा रहा था. रात का शो था सो इतनी रात में जाती भी कहां? फिल्म खत्म होने में अभी समय था. मेरे तो हाथपांव ही फूल गए. समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करूं.
तभी मेरी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो मेरा बैग लिए किसी को खोज रहा है. मुझे तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ. वह मुझे पहचान कर बोला, ‘‘दीदी, आप का यह बैग मेरे आटो में छूट गया था. मैं यहीं आप का बाहर निकलने का इंतजार कर रहा था.’’ मैं ने देखा कि बैग में मेरा सभी सामान सुरक्षित था. मैं ने आटोवाले को धन्यवाद दिया और उचित इनाम दे कर विदा किया.
सच है कि आज भी हमारे देश में जिम्मेदार और ईमानदार लोगों की कमी नहीं है.
– अंजुला अग्रवाल, मीरजापुर (उ.प्र.)
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हम लोग पर्यटन टूर पर उस दिन चंडीगढ़ में थे. वहां की मशहूर सुकमा झील पर सुबह की सैर कर रहे थे. सुबह व शाम को घूमने के लिए वहां बहुत लोग आते हैं. उस दिन बहुत भीड़ थी. एक समय क्या देखते हैं कि 12-13 साल की एक लड़की झील में डूब रही है. भीड़ में से एक संभ्रांत व्यक्ति देरी न करते हुए झील में कूद पड़ा. उन के पीछे उन का अंगरक्षक भी कूद पड़ा. दोनों ने मिल कर उस डूबती बच्ची को झील से बाहर निकाला. उसे तुरंत अस्पताल ले जा कर इलाज कराया व सारा खर्चा भी दिया. जब उन्हें पता चला कि वह बहुत ही गरीब बाप की बेटी है और पढ़ने में बहुत तेज 9वीं कक्षा की छात्रा है पर गरीबी के कारण उस के बाप ने उस की आगे की पढ़ाई बंद करवा दी थी. इस से दुखी हो कर लड़की ने अपनी जान देने के लिए झील में छलांग लगा ली थी. उस संभ्रांत व्यक्ति ने अपनी जान पर खेल कर उस लड़की की जान तो बचाई ही, उस की आगे की पढ़ाई के लिए एक बड़ी रकम उस के नाम बैंक में जमा करा दी. मेरे जीवन में आदर्शस्वरूप आया वह संभ्रांत व्यक्ति धन्य है.
– गंगाप्रसाद मिश्र, नागपुर (महा.)