मेरे एडवोकेट अंकल को हर बात में गाली देने की आदत हो गई थी. आंटी को वे कमीनी हरामखोर वगैरह बोलते रहते थे. उन का एक 3 साल का बेटा भी एक दिन आंटी से कुछ मांग रहा था न मिलने पर उस ने आंटी को बोला, ‘‘तुम एक नंबर की कमीनी हो.’’ ये सुन आंटी ने उसे बहुत मारा. रात में जब अंकल आए तो बेटे ने रो कर कहा, ‘‘पापा आप मम्मी को हमेशा ऐसे ही बोलते हो, उन्होंने न तो आप को डांटा न मारा लेकिन मुझे आज बहुत मारा. मैं उन से अब कभी बात नहीं करूंगा.’’
अंकल को अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर उन्होंने दोबारा गाली न देने का प्रण किया.
दीपिका श्री
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मेरे पति जब भी मेरे बाबूजी की बात करते, ‘तुम्हारे बाबूजी’ कहा करते. यह सुन कर मुझे अच्छा नहीं लगता था. एक दिन मैं ने अपनी सासूमां के लिए पति से ‘आप की मां’ कहा तो वे लगभग चिढ़ से गए. उन्होंने कहा, ‘‘यों तो तुम ‘मां’ बोलती हो, फिर आज क्या हो गया जो इस तरह का संबोधन प्रयोग किया.’’ मैं ने कहा, ‘‘आप की ही शिक्षा है. अब आप कुछ गलत तो करेंगे नहीं, सो मैं ने भी सही तरीका अपनाने की सोची.’’ यह सुन कर पति न सिर्फ झेंप गए बल्कि उस के बाद से ही ‘तुम्हारे बाबूजी’ की जगह सिर्फ ‘बाबूजी’ कहना शुरू कर दिया.
सीमा ओझा
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आज के समय में आप और मैं कोई भी तो इस सोशलनैटवर्किंग से अछूता नहीं. कितने ही व्यस्त क्यों न हों पर आए हुए मैसेज को इधर से उधर भेजने में मिनट नहीं लगाते. एक बार एक मैसेज आया. उस में एक महिला का चित्र था. साथ में लिखा था, ‘अब ट्रेन ऐसे रुकेगी.’ मुझे भी अच्छा लगा और फेसबुक पर अपने ग्रुप पर शेयर कर के खूब खुश हुई व अपने काम में लग गई. थोड़ी देर में कुछ मैसेज आए. पढ़ते ही बहुत दुखी हो गई. उस में एक महिला ने क्रोधित हो कर लिखा, ‘आप को ऐसे मैसेज शोभा नहीं देते. दूसरे की भावना की कद्र करनी चाहिए. यह स्त्री मेरी सासू मां है.’ मैं ने तो कभी सोचा भी न था कि इतनी बड़ी दुनिया में हम भी टकरा सकते हैं. मुझे बहुत ग्लानि हुई और फौरन वह मैसेज डिलीट किया. फिर उन महिला से अलग से क्षमा मांगी.