विदेश मंत्री सुषमा स्वराज लंबे समय से विवादों से खुद को दूर रखे हुए हैं. यह कम उपलब्धि की बात नहीं कि देशभर में असहिष्णुता और शिक्षण संस्थानों में बवाल मचा पर वे चुपचाप अपने मंत्रालय का काम देखती रहीं. तय है कि उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया है कि अभी इन बेकार के विवादों में ऊर्जा गंवाने से कोई फायदा नहीं, न ही कोई तुक है.

अपनी ईरान यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज वहां के राष्ट्रपति से मिलीं तो उन का सिर गुलाबी शौल से ढका हुआ था. सीधेसीधे कहें तो वे घूंघट तो नहीं, पर सिर पर पल्लू डाले हुए थीं. इस पर कुछ लोगों ने आदतन विवाद खड़ा करने की कोशिश की. यह लिहाज था या प्रोटोकौल, यह तय नहीं हो पाया. पर विदेश मंत्री को सिर ढके देख बरबस ही लोगों को कुछ साल पहले तक की भारतीय संस्कृति याद हो आई जिस के तहत जेठ, ससुर और सम्मानीय पुरुषों को इस तरह सम्मान दिया जाता था. इस का धर्म से संबंध नहीं होता.

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