छुट्टी का दिन था. ये नहाने जा रहे थे. मैं ने अपने हाथ से सिला पाजामा और नई बनियान इन को दी. इन के वापस आने पर हम दोनों ने नाश्ता किया और फिर अपनेअपने काम में व्यस्त हो गए.
तकरीबन 1 घंटे बाद ये अंदर आए. और बड़े ही गर्व से बोले, ‘‘देखो, आज मैं ने कार के नीचे ठीक से पेंट कर दिया है. अब वह रस्टी नहीं होगी.’’
जब मैं ने इन की तरफ देखा तो मेरे होश उड़ गए. ये सिर से पांव तक काले पेंट से पुते थे. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं इन के काम की तारीफ करूं या अपना सिर पीट लूं.
मैं इन्हें आईने के सामने ले गई. अब इन की हालत देखने लायक थी.
सुधा रती, भोपाल (म.प्र.)
मेरे पति को जरूरी काम से जाना था, वहां कार पार्किंग की दिक्कत थी. इन्होंने सोचा कि कार से न जा कर आटो से ही निकल लेता हूं. इन्होंने आटो किया और बैठ गए. रैड लाइट पर आटो रुका तो एक आदमी आटो वाले से बोला कि मुझे फलां जगह पहुंचा दोगे तो आटो वाले ने कहा कि साहब ने पूरा आटो कर रखा है, मैं नहीं ले जा सकता.
मेरे पति ने देखा तो बोले कि कोई बात नहीं, बैठा लो.
वह आदमी बैठ गया. उस की जो जगह थी, वहां वह उतर गया. जहां इन्हें उतरना था, उतर कर पैसे देने को जेब से बटुआ निकालना चाहा, तो बटुआ वह आदमी पार कर ले गया था. फिर जिन के पास गए थे उन से पैसे ले कर आटो वाले को दिए. घर आ कर इन्होंने बताया कि मेरी आंख लग जाने के कारण 5 हजार रुपए कि चपत लग गई. मैं ने कहा कि आप की नींद बहुत महंगी पड़ी और मेरी हंसी छूट गई.
प्रीतिसिंह गहलोत, कालकाजी (न. दि.)