सज्जन
जिस प्रकार बादल समुद्र का खारा पानी पी कर भी मीठा जल ही बरसाता है उसी प्रकार सज्जन किसी की कटु वाणी सुन कर भी सदा मधुर वाणी ही बोलता है.
संतोष
जैसे हरा चश्मा लगा लेने से सभी वस्तुएं हरीहरी ही दिखती हैं उसी प्रकार संतोष धारण कर लेने पर सारा संसार आनंदरूप ही दिखाई देता है.
शोभा
अपनीअपनी जगह पर ही किसी वस्तु की विशेष शोभा होती है, जैसे काजल आंख में शोभा देता है और महावर पैर में.
उद्यम
उद्यम करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं, केवल मनोरथ करने से नहीं. जैसे सोते हुए सिंह के मुख में मृग अपनेआप प्रवेश नहीं करते.
चरित्र
मनुष्य की सब से बड़ी आवश्यकता शिक्षा नहीं वरन चरित्र है और यही उस का सब से बड़ा रक्षक है.
शौर्य
शौर्य किसी में बाहर से पैदा नहीं किया जा सकता, वह तो मनुष्य के स्वभाव में होना चाहिए.

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