मैं ताम्बरम एयरफोर्स बेस स्टेशन पर विशेष प्रशिक्षण कोर्स में था. उस दिन सैनिक अस्पताल, चेन्नई में मेरे बेटे का जन्म हुआ था. सोचा, अस्पताल का एक चक्कर लगा आते हैं. पास के ही एक कमरे में कुछ लड़कियां थीं. मैं कमरे में चला गया और बोला, ‘‘हैलो गर्ल्स, आई एम फ्लाइट लैफ्टिनैंट अमित श्रीवास्तव, और आप लोग?’’

वे बोलीं, ‘‘सर, हम लोग सीडीएस के जरिए आ कर आर्मी आफिसर्स ट्रेनिंग सैंटर पर ट्रेनिंग के दौरान फिजिकल ट्रेनिंग में घायल हो कर यहां आए हैं.’’ वहीं अलग बैड पर उदास बैठी  लड़की के पास जा कर मैं ने पूछा, ‘‘यह गुडि़या, यहां अकेले उदास सी क्यों है?’’ वह लड़की मानो रोते हुए धीरे से बोली, ‘‘सर, मैं गरिमा हूं. मेरे पांवों में तेज मोच आ गई है. आज मेरा बर्थडे है. घर का कोई सदस्य पास नहीं.’’ मैं ने कहा, ‘‘उदास नहीं होते, तुम्हारी सहेलियां हैं न.’’ और मैं वहां से चला गया.

बाजार से बर्थडे का सारा सामान ले कर अस्पताल के उस कमरे में एक घंटे बाद घुसा, ‘‘कम औन, गर्ल्स, लेट अस सैलिब्रेट गरिमाज बर्थडे’’ और मैं ने मेज पर बर्थडे केक, मोमबत्तियां, कुछ रसगुल्ले सजा दिए, और गुब्बारे लड़कियों को लगाने के लिए दे दिए. मोमबत्ती जला कर गरिमा को साथ ले कर आया. गरिमा की आंखों में कृतज्ञता और खुशी के आंसू थे. मोमबत्ती बुझा कर, उस से केक कटवाया और ‘हैप्पी बर्थडे, हैप्पी बर्थडे टू गरिमा’ की आवाज से कमरा गूंज उठा.     

अमित श्रीवास्तव

*

मैं सुबह जब जागी तो पूरे महल्ले में कुहराम मचा हुआ था. कारण था कि मोदी सरकार ने अकस्मात 1,000 रुपए का नोट व 500 रुपए का नोट निष्क्रिय कर दिए थे. इसी दिन महल्ले के एक व्यक्ति की मृत्यु भी हो गई और घर में अर्थी उठाने के लिए भी पर्याप्त पैसे न थे. परेशानी इसलिए अधिक थी क्योंकि महल्ले में नियम निर्धारित है कि जब कोई मरेगा तो उस की अर्थी कच्चे बांस से, डोम के हाथों बनवाई जाएगी, फिर उस के पार्थिव शरीर को श्मसान घाट ले जाया जाएगा. डोम बांस की अर्थी बनाने के लिए 12 सौ रुपए मांगने लगे. महल्ले के लोगों ने आपस में विचारविमर्श किया, फिर निश्चय हुआ कि जिस खटिए पर बौडी रखी गई है, उसी पर श्मसान घाट तक ले जाया जाए. अंत्येष्टि के लिए रुपए एकत्रित कर लिए. इस तरह रुढि़वादी परंपरा भी टूट गई.     

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