औल द बैस्ट टीम इंडिया
विश्वकप शुरू होने से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि टीम इंडिया क्वार्टर फाइनल तक पहुंच जाए तो बड़ी बात होगी पर आस्ट्रेलिया दौरे में टैस्ट सीरीज से ले कर ट्राई सीरीज में हुई जगहंसाई की भरपाई उस ने विश्वकप में पाकिस्तान से जीत के साथ कर ली. इस जीत ने टीम इंडिया का मनोबल बढ़ाने का काम किया. फिर टीम इंडिया की आंधी के सामने वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें भी धराशायी हो गईं. लीग मैच में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया और एक भी मैच नहीं गंवाया. बल्लेबाजों ने जहां रनों की बरसात की वहीं गेंदबाजों ने भी किफायती गेंदबाजी और विकेट चटकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धौनी का एक्सपैरिमैंट भी सफल रहा. अंतिम लीग मैच में धौनी ने जिंबाब्वे के खिलाफ विनिंग सिक्सर मार कर टीम को जीत दिला दी. इतना तो तय है कि दबाव से निबटने की क्षमता धौनी में है. खुद पर भरोसा बहुत ही कम खिलाडि़यों में देखने को मिलता है. आप को याद होगा वर्ष 2011 विश्वकप में धौनी ने ही विनिंग सिक्सर के साथ टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनाया था.
शायद इसीलिए कहा जाता है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है. टीम इंडिया जब विदेश दौरे पर आस्ट्रेलिया गई थी तो लगातार असफलताओं के चलते उसे आलोचना झेलनी पड़ी थी पर अब उसी टीम इंडिया की वाहवाही हो रही है क्योंकि वह पूरे जोश के साथ खेल रही है. वैसे भी टीम इंडिया वर्ल्ड चैंपियन है. इस का फायदा टीम के खिलाडि़यों में भरोसा पैदा करता है. खिलाडि़यों का आत्मविश्वास बढ़ता है. हालांकि लगातार मिल रही सफलता टीम इंडिया में ओवरकौन्फिडैंस न पैदा करे तो अच्छा है. अकसर देखा गया है कि लगातार मैच जीतने वाली टीमें अति उत्साह में आ कर क्वार्टर फाइनल और फाइनल जैसे मुकाबलों में लचर प्रदर्शन के चलते नाकाम हो जाती हैं. इसीलिए जरूरी है कि टीम इंडिया न सिर्फ संयम बना कर रखे बल्कि खेल को ले कर सकारात्मक ऊर्जा फाइनल के लिए बचा कर रखे. लग रहा है कि अब टीम इंडिया को रोकना मुश्किल है.