शराबमुक्त बिहार और संघमुक्त भारत का नारा देने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शायद समझ आया हो कि दरअसल, लोकप्रियता और जमीनी राजनीति क्या होती है. उन्हें तो बिहार में बने रहने के लिए लालू यादव और कांग्रेस का दामन थामना पड़ा था पर ममता बनर्जी और जयललिता ने जता दिया कि वे नीतीश से ज्यादा असरदार हैं. नीतीश के लिहाज से बात किसी ग्लानि या हीनभावना की नहीं है क्योंकि ममता उन के अभियान में शामिल होने को तैयार हैं. जयललिता दिलचस्पी लेंगी या नहीं, यह वक्त बताएगा. नीतीश अभी राष्ट्रीय स्तर के किसी संगठन के मुखिया या प्रधानमंत्री बनने का सपना न देखें तो बेहतर है. 

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