बात उन दिनों की है जब मैं शादी के बाद पहली बार पति के साथ वापी आई थी. पति के औफिस चले जाने के बाद मु?ो घर में बोरियत महसूस न हो, इस के लिए पति के एक घनिष्ट मित्र की पत्नी मुझे अपने घर ले जाती थीं. वे हमारे घर के सामने ही रहती थीं. पहले दिन ही उन का साढ़े 4 वर्षीय पुत्र, जो जूनियर केजी में पढ़ता था, घर लौटते ही अपनी मां से बोला, ‘‘मम्मी, टीचर ने बोला है, अगले फ्राइडे कंपीटिशन है, लवस्टोरी याद कर के आना.’’  

मैं कुछ क्षण चुप रही, फिर जब अपनी उत्सुकता को रोक न सकी तो पूछ ही लिया, ‘‘दीदी, ये स्कूल वाले कैसे हैं जो बच्चों को लवस्टोरी याद कर के आने को बोला है?’’ इस पर उन्होंने जोर का ठहाका लगाया और बोलीं, ‘‘अरे मीनाक्षी, उन्होंने लवस्टोरी नहीं बल्कि लव, स्टोरी याद कर के आने को बोला है.’’ दरअसल, उस बच्चे का नाम ‘लव’ था.

मीनाक्षी अरविंद कुमार, वापी (गुज.)

 

मेरा 3 वर्ष का नाती दक्ष बहुत ही सम?ादारी की बातें करता है. एक दिन उस के पापा ने पीने के लिए जैसे ही पानीभरा गिलास मुंह से लगाया, दक्ष अपने लिए पानी मांगने लगा. सो, उस के पापा ने वही पानी का गिलास उसे देने के लिए हाथ बढ़ाया. वह तुरंत बोला, ‘‘नहीं पापा, मु?ो आप का ?ाठा पानी नहीं पीना, मु?ो अपना वाला सच पानी पीना है.’’ हम सब का हंसतेहंसते बुरा हाल था कि बच्चा ?ाठा और जूठा में अंतर नहीं जानता.

सरिता असारी, जबलपुर (म.प्र.)

 

मैं प्रीप्राइमरी कक्षा की अध्यापिका हूं, जिस में साढ़े 3 साल के बच्चे पढ़ते हैं. हर साल की तरह अप्रैल माह में नए बच्चों का आगमन हुआ. उन में एक बच्चा ऐसा भी था जो दिखने में बहुत छोटा था मगर बातें दुनियाभर की करता था. एक दिन उस के पिता, जो उसे रोज लेने आते थे, देर तक नहीं आए.

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