मेरी बेटी मोना गुड़गांव में रहती है. उस का 3 साल का बेटा आरव बहुत बातें बनाता है. वे लोग एक दिन हमारे घर आए. उस समय हम सब घर के लोग घर के बाहर ही खड़े थे. हमारे मकान में ऊपर एक कमरा बन रहा था. नीचे बालू, मोरंग, ईंट वगैरह देख कर आरव ने अपने पापा से पूछा, ‘‘पापा, नानी हाउस में क्या हो रहा है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘तुम्हारी नानी का न्यू हाउस बन रहा है.’’ इतना सुन कर आरव बड़े आराम से बोला, ‘‘अच्छा, तब मैं भी इधर ही वेट कर लेता हूं. जब न्यू हाउस बन जाए तब बता देना. फिर मैं अंदर आ जाऊंगा.’’ उस की भोली बातें सुन कर सभी लोगों को बहुत हंसी आई.
माला वाही, लखनऊ (उ.प्र.)
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मेरा 7 साल का बेटा निमोनिया से बीमार पड़ गया. समय पर डाक्टर से इलाज करवाया. इंजैक्शन भी 3 दिन तक सुबहशाम लगते रहे. फिर डाक्टर ने कुछ गोलियां दे कर कहा कि आधीआधी गोली दिन में 2 बार इसे खिला देना. दवा कड़वी थी. 2 बार खिलाने पर उस ने उलटी कर दी. शायद निगलने के बजाय वह चबा रहा था. अब उस ने गोली खाने से साफ इनकार कर दिया. हम परेशान, क्या करें? ज्यादा इंजैक्शन लगवाना भी ठीक नहीं था. उसे दादादादी सभी ने मनाया पर उस ने दवा नहीं खाई. एक बार उस के मन में जाने क्या आया, उस ने कहा, ‘‘अच्छा, आप लोग बाहर जाओ, पानी दे जाओ, मैं स्वयं निगल लूंगा.’’ कुछ लोग खिड़की से उसे देख रहे थे. दद्दा ने पानी का गिलास उसे थमाया. उस ने गोली मुंह में डाली और तुरंत पानी से निगल लिया. हमसब खुश हो गए.
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