आजम का दर्द
अप्रैल के पहले हफ्ते में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी और फिर जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जम कर तारीफ क्या की, आजम खां, तिलमिला उठे. चूंकि यह तिलमिलाहट सार्वजनिक तौर पर पूरी बेबाकी से व्यक्त नहीं की जा सकती थी इसलिए उन की संक्षिप्त प्रतिक्रिया यह थी कि विवादित ढांचा ढहाने के दोषी लालकृष्ण आडवाणी ही हैं.
आजम खां का दिल टूटा है जिस के हर एक टुकड़े से यही आवाज निकल रही है कि कल तक हरे रंग की टोपी पहने जो मुलायम, मुसलमानों के मसीहा माने जाते थे वे आज बहक कर भगवा व केसरिया की बातें क्यों कर रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि सपा व भाजपा उत्तर प्रदेश में गठजोड़ की तरफ बढ़ रही होें. नींद उड़ाने के लिए यह चिंता काफी है और तारीफों का सिलसिला यों ही चलता रहा तो रहासहा चैन भी छिन जाएगा. वजह, मुसलिम वोटबैंक के कांग्रेसी खाते में शिफ्ट होने का डर है. यह देखना दिलचस्प रहेगा कि मुलायम का हिंदुत्व प्रेम आजम खां को किस हद तक उकसाएगा.
भीतर जनेऊ, ऊपर टाई
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टीम में अधिकांश चेहरे भगवा हैं जिन के मुखिया नरेंद्र मोदी हैं, जो इन दिनों राम और हिंदुत्व की कम गुजरात के विकास की बात ज्यादा करते हैं. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के सिक्के में एक तरफ हिंदुत्व है तो दूसरी तरफ विकास है. यानी कोट के भीतर जनेऊ है और ऊपर टाई लटका ली गई है.
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