मेरी शादी के 1 साल बाद मेरी सास ने मुझ से कढ़ी बनाने को कहा. मैं ने कढ़ी बनाई लेकिन उस दिन गलती से मैं पकौडि़यों में नमक डालना भूल गई. बिना नमक की पकौडि़यां डालने से कढ़ी में स्वाद नहीं आएगा और उन्हें नमक के पानी में भिगो भी नहीं सकते, उन में पानी भर जाएगा. मैं यह सोच ही रही थी कि तभी मेरे पति वहां आ गए. मैं ने पति को यह बात बता दी. उन्होंने एक कटोरी में नमक का पानी बनाया और सिरिंज की मदद से पकौडि़यों में डाल दिया. इस तरह पकौडि़यों ने रस को सोख लिया और उन में नमक भी पहुंच गया. पति की सूझबूझ काम आई और मेहमानों ने कढ़ी की बहुत तारीफ की.
रश्मि श्रीवास्तव
बात 1960 की है. मेरा जालंधर के एक डाकखाने में अकाउंट था. मैं इसे बंद करवा कर अपने पैसे लेना चाहता था, क्योंकि मैं ब्रिटेन जा रहा था. जब मैं अपने पैसे लेने काउंटर पर पहुंचा तो खजांची ने मेरी पासबुक देखी और मुझ से कहा कि पैसे तभी मिल सकते हैं जब आप इस काम के लिए किसी गवाह को ले आएं.
मैं एक मित्र को ले आया पर खजांची ने पैसे देने से फिर भी इनकार कर दिया. उस ने कहा कि आप किसी ऐसे गवाह को लाएं जो हम दोनों को जानता हो. मैं ने उसी समय कहा, ‘आप किसी से मेरी शादी करवा दें, फिर आप उस को भी जानेंगे और मुझे भी.’ उस समय उस के मुंह का हाल देखने लायक था. चेहरे पर पसीना बहने लगा और मेरे पैसे मिल गए.
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