जब भी मेरे पति की कोई बात नहीं मानी जाती, तो वे नाराज हो जाते हैं और गुस्से में 1-2 दिन खाना खाना छोड़ देते हैं. एक दिन गांव से मेरे ससुरजी आए, रात को खाने के दौरान मेरे पति के साथ किसी बात पर उन की बहस हो गई और गुस्से में मेरे ससुरजी ने अपने आगे से थाली सरका दी. थोड़ी देर के बाद मेरे पति खाना ले कर उन के कमरे में भी गए. पर वे बहुत गुस्से में थे. उन्होंने खाना नहीं खाया. इतना कुछ होने के बाद घर में मायूसी छा गई.

अगले दिन सुबह मेरा 6 साल का बेटा, अपने दादाजी से बोला, ‘‘दादाजी, पापा बिलकुल आप जैसे हैं. वे भी गुस्से में खाना छोड़ देते हैं और आप भी. इस से मम्मी को रोना पड़ता है.’’ अपने पोते के मुख से ये बातें सुन कर उन्होंने फौरन आवाज लगाई ‘‘बहू, आज नाश्ते में आलूपूरी बना लेना, सब संग में खाएंगे.’’ इस घटना के बाद मेरे पति की गुस्से में खाना छोड़ने की आदत छूट गई.

प्रीति गुप्ता, हरिद्वार (उत्तराखंड)

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मेरे छोटे भाई को अपने औफिस के काम से दिल्ली से चेन्नई जाना पड़ा. वह थोड़ा मस्त स्वभाव का है. संयोग ऐसा हुआ कि कभी सिग्नल न मिलने के कारण तो कभी काम में व्यस्त होने के कारण उस ने 2 दिनों तक भाभी को फोन नहीं किया. चिंता और गुस्से के मारे भाभी का बुरा हाल था. इसी बीच, मैं ने भाभी का हालचाल जानने के लिए उसे फोन किया. फोन पकड़ते ही उस ने मेरे भाई की शिकायत करनी शुरू कर दी, जो जायज थी. मैं ने उसे समझाते हुए कहा, ‘गुस्सा करने के बजाय तुम फोन क्यों नहीं कर लेती?’ पर वह इस बात पर अड़ गई कि जब आप के भाई का फोन आएगा, तभी बात करूंगी वरना बिलकुल बातचीत बंद.

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